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Tuesday, May 28, 2024

बकटा बुजुर्ग गांव में प्रधान-सचिव कर रहे बंदरबांट

पेयजल-स्वच्छता कागजों में, धरातल में शून्य

पहाड़ी/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । पहाड़ी ब्लाक के बकटा बुजुर्ग गांव में कई वर्षों से पेयजल संकट से ग्रामीण जूझ रहे हैं। भीषण गर्मी में तालाब, पोखर, चोहड सूख गये हैं। इकलौता कुआ ग्रामीणों के पेयजल की समस्या का समाधान करने में जवाब देने लगा है। मंगलवार को क्षेत्र पंचायत सदस्य रमेश रैकवार ने कहा कि क्षेत्र पंचायत से कुआ की सफाई प्रधान व सचिव ने कराई है। धरातल पर कोई विकास कार्य पंचायत में नहीं दिख रहे हैं। सैकड़ों ग्रामीणों ने बताया कि धरातल पर ग्रामीण पेयजल संकट से कई वर्षों से जूझ रहे हैं। जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है। जिम्मेदार बीडीओ दिनेश प्रसाद मिश्रा व प्रधान, सचिव आशीष कुमार कागजों में सब चकाचक दिखा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि भीषण गर्मी मे पेयजल संकट गहरा गया है। कहीं भी पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। जिम्मेदार प्रधान, सचिव ने बीडीओ से कोई व्यवस्था नहीं कराई। ग्रामीणों ने बताया कि हरी बाबा, कल्लू आरख के घर के पश्चिम से कई सालो से खराब हैंडपंप का रिबोर नहीं कराया। रामविलास के घर के पास खराब हैंडपंप जो रिबोर लायक है। देवी मंदिर के पास हफ्तों से खराब हैंडपंप, हरिजन बस्ती कालका रैदास के घर के पास खराब

 पेयजल संकट से जूझ रहे ग्रामीण।

हैंडपंप, रामेंद्र सिंह के पुरवा में कई सालों से खराब हैंडपंप का रिबोर नहीं कराया। कुछ दिनों पहले हरि बाबा के पास बीडीओ के कहने पर प्रधान ने टंकी रखवायी है। जिसमें आज तक पानी नहीं भरा गया। गांव के 70 से 80 घरों के लोगों को बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। दो किमी दूर से तपती धूप में पानी लाते हैं। धरातल पर कहीं भी पानी की व्यवस्था नहीं है। सिर्फ कागजों में पेयजल संकट प्रधान-सचिव दूर कर रहे हैं। कई वर्षों से मानक अनुसार पानी का टैंकर नहीं चलाया जा रहा। बड़े पैमाने पर हैंडपंप खराब पड़े हैं। प्रत्येक वर्ष लाखों रुपए हैंडपंप मरम्मत के नाम से सरकारी धन की निकासी हो रही है। धरातल पर जल संकट से निजात पाने को कोई ठोस कार्य नहीं किये गये। अधिकांश ग्रामीणों ने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन फेज-2 के तहत कोई कार्य गांव में नहीं हुए। जगह-जगह नालियां जाम हैं। गंदगी का अंबार है। सफाई कर्मी के गांव में दर्शन नहीं होते। कागजों में स्वच्छ भारत मिशन चकाचक है। हकीकत बकटा बुजुर्ग गांव की कुछ और बयां कर रही है। सचिव आशीष सिंह कभी गांव नहीं आते। ग्रामीण तमाम समस्याओं से जूझ रहे है। आखिर सरकार के बड़े पैमाने पर कागजों में सरकारी पेयजल स्वच्छता पर खर्च हो रही धनराशि धरातल पर क्यों नहीं उतर रही। ग्रामीण बताते हैं कि धरातल पर कोई काम नहीं है। कागजों में सरकारी धन का खर्च दिखाकर बंदरबांट प्रधान-सचिव कर रहे हैं। देखना है कि कई वर्षों से लगातार हैंडपंप मरम्मत व स्वच्छता के नाम सरकारी धन का बंदरबांट करने वालों पर क्या कार्यवाही होती है।


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