एक-दूसरे से गले मिल बकरीद की दी मुबारकबाद
पुलिस-प्रशासन की सतर्कता के मद्देनजर नहीं हुई कोई अराजकता
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले में ईद-उल-अजहा बकरीद का पर्व सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाया गया। मुस्लिम भाइयों ने मस्जिदों में नमाज पढ़कर मुल्क की तरक्की-अमन की दुआ मांगी व एक-दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी। बकरीद के मद्देनजर जिले में पुलिस व्यवस्था सतर्क रही। कहीं पर किसी भी प्रकार की कोई अराजकता नहीं हुई। राजापुर कस्बे के शाही मस्जिद में बकरीद की नमाज पुलिस व प्रशासन की कड़ी सुरक्षा के बीच पेश इमाम मो मोईन ने अदा कराई। देश-प्रदेश की अमन चमन को दुआ मांगी गई। सोमवार को बकरीद अजहाकी नमाज उप जिलाधिकारी प्रमोद झा, तहसीलदार रामसुधार राम, प्रभारी निरीक्षक राजापुर मनोज कुमार की मौजूदगी में शाही
नमाज पढते मुस्लिम भाई |
मस्जिद में कस्बा समेत सोतीपुरवा, मलवारा, सरधुआ, बरुआ, छीबों, बन्ना गड़वारा, रायपुर, चांदी, सुरवल आदि गांवों के मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बकरीद की नमाज परम्परागत ढंग से अदा की। पैगम्बर मोहम्मद साहब से देश-प्रदेश में प्रेम, सद्भावना आपसी भाईचारा और अमन-चमन को दुआ मांगी गई। उप जिलाधिकारी प्रमोद झा व रामसुधार राम ने मुस्लिम समुदाय के लोगों के गले मिलकर बकरीद अजहा के मौके पर मुबारकबाद दिया। कहा कि ये त्योहार आपसी भाईचारा का संदेश देता है। समुदाय के लोग प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी न दें। कुर्बानी दिए पशु के अवशेषों को उचित स्थान पर दफना दें।
मुस्लिम समुदाय से मिलते पुलिस अधिकारी। |
मुस्लिम समुदाय के अध्यक्ष अतहर नईम ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र व कस्बे के समाज के लोगों से अपील किया कि आज के दिन अल्लाह पाक ने परीक्षा लेकर बकरे की कुर्बानी स्वीकार किया था। अपने हिसाब से लोग कई प्रकार की कुर्बानियां देते हैं। तीन दिनों तक कुर्बानियों का सिलसिला जारी रहता है। अल्लाह ताला का कहना है कि धन-दौलत समाज के लिए महत्त्व नहीं रखती है, केवल अल्लाह का नाम ही सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कार्य है। उन्होंने कहा कि समाज के लोग एकता व देश प्रेम के साथ रहकर कार्य करते हैं तो प्रदेश-देश तथा समाज का विकास संभव हो सकता है। किसी भी समाज के त्यौहार में एकता, सद्भावना, भाईचारा के साथ मनाया जाए तो देश में अमनचैन, खुशहाली व आतंकवाद जैसी समस्यायें समाप्त हो सकती हैं। समाज प्रगति की ओर अग्रसर होते हुए कोई भी समाज अपना विकास कर सकता है। इस मौके पर शाबिर अली, मेराजुल हक, मो सफीक, मो शमीम, रईस अहमद, इस्लाम नईम मो वसीम, कुरेशी आबिद अली, साबिद अली, मदार कुरैशी, मो अली, मो रफीक, मो शकील, मो हारुन, महबूब अली, लाली खां, इद्दू बख्श, मेराज अहमद आदि मौजूद रहे।
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