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Sunday, June 16, 2024

शिव-पार्वती विवाह और ध्रुव चरित्र कथा सुनकर श्रोता भाविभोर

सिविल लाइन में डा. नरेंद्र गुप्ता के आवास में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा

कथा श्रवण के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु, आचार्य उमाकांत कर रहे कथा व्याख्यान

बांदा, के एस दुबे । रोडवेज के समीप स्थित डा. नरेंद्र गुप्ता के आवास में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथावाचक पंडित उमाकांत त्रिवेदी ने शिव-पार्वती कथा के साथ ही ध्रुव चरित्र की कथा का बखान किया। कथा श्रोता भावविभोर हो गए। कथा वाचक उमाकांत त्रिवेदी ने कपिल अवतार ध्रुव चरित्र सृष्टि की रचना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, मनुष्य जीवन आदमी को बार-बार नहीं मिलता है इसलिए इस कलयुग में दया धर्म भगवान के स्मरण से ही सारी योनियों को पार करता है। मनुष्य जीवन का महत्व समझते हुए भगवान की भक्ति में अधिक से

कथा व्याख्यान करते आचार्य उमाकांत त्रिवेदी

अधिक समय देना चाहिए। उन्होंने बताया कि, भगवान विष्णु ने पांचवा अवतार कपिल मुनि के रुप में लिया। उन्होंने बताया कि, किसी भी काम को करने के लिए मन में विश्वास होना चाहिए तो कभी भी जीवन में असफल नहीं होंगे। जीवन को सफल बनाने के लिए कथा श्रवण करने से जन्मों का पाप कट जाता है। ध्रुव चरित्र की कथा के बारे में भक्तों को विस्तार से वर्णन कर बताया। शिव-पार्वती विवाह का प्रसंग बताते हुए कहा कि, यह पवित्र संस्कार है, लेकिन आधुनिक समय में प्राणी संस्कारों से दूर भाग रहा है। जीव के बिना शरीर निरर्थक होता है, ऐसे ही संस्कारों के बिना जीवन का कोई मूल्य नहीं होता। भक्ति में दिखावा नहीं होना चाहिए। जब सती के विरह में भगवान शंकर की दशा दयनीय हो गई, सती ने भी संकल्प के अनुसार राजा हिमालय के घर पर्वतराज की पुत्री होने पर पार्वती के रुप में जन्म लिया। पार्वती जब बड़ी हुईं तो हिमालय को उनकी शादी की चिंता सताने लगी। एक दिन देवर्षि नारद हिमालय के महल पहुंचे और पार्वती को देखकर उन्हें भगवान शिव के योग्य बताया। इसके बाद सारी प्रक्रिया शुरु
मौजूद श्रोतागण

तो हो गई, लेकिन शिव अब भी सती के विरह में ही रहे। ऐसे में शिव को पार्वती के प्रति अनुरक्त करने कामदेव को उनके पास भेजा गया, लेकिन वे भी शिव को विचलित नहीं कर सके और उनकी क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। इसके बाद वे कैलाश पर्वत चले गए। तीन हजार सालों तक उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए तपस्या की। इसके बाद भगवान शिव का विवाह पार्वती के साथ हुआ। कथा स्थल पर भगवान शिव और माता पार्वती के पात्रों का विवाह कराया गया। विवाह में सारे बाराती बने और खुशिया मनाई। कथा में भूतों की टोली के साथ नाचते-गाते हुए शिवजी बारात आई। बारात का भक्तों ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया। शिव-पार्वती की सचित्र झांकी सजाई गई। विधि-विधान पूर्वक विवाह सम्पन्न हुआ। महिलाओं ने मंगल गीत गाए ओर विवाह की रस्म पूरी हुई। महाआरती के बाद महाप्रसादी का वितरण किया गया। कथा में तीसरे दिन बड़ी संख्या में महिला-पुरुष कथा श्रवण करने पहुंचे। इधर, बताया गया कि 21 जून तक कार्यक्रम होंगे। डॉ नरेन्द्र गुप्ता ने बताया कि शाम को 4 बजे से दोपहर 8 बजे तक कथा व्यास पंडित उमाकांत त्रिवेदी द्वारा भक्तों को रसपान कराएंगे। इस मौके पर रामा गुप्ता, राजा भैया गुप्ता, इंद्रा गुप्ता, डा. नरेन्द्र, नगर पालिका अध्यक्ष मालती बासु, पूर्व चेयरमैन राजकुमार राज, मनोज जैन, डॉक्टर अशोक गुप्ता, एडवोकेट हरि भजन गुप्ता, ठेकेदार महेश गुप्ता इचौली वाले, नवीन प्रकाश गुप्ता, संजय गुप्ता जयेंद्र, अंजली पुष्पलता वर्षा गुप्ता,दिवायांशु श्रेयांश आदि मौजूद रहे।


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