भाई की आरती उतारी, माथे पर बहनों ने लगाया कुमकुम का तिलक
मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया, बदले में भाइयों ने दिया सुरक्षा का वचन
शहर समेत जनपद में भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व मनाया गया
बांदा, के एस दुबे । सावन माह की पूर्णिमा पर भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक रक्षाबंधन पर्व मनाया गया। शुभ मुहूर्त में डेढ़ बजे दोपहर के बाद बहनों ने अपने भाइयों की आरती उतारी। माथे पर कुमकुम का तिलक लगाया। इसके बाद बहनों ने भाई की कलाई पर स्नेह भरा धागा बांधा। बदले में भाइयों ने भी बहनों को उपहार देने के साथ ही सुरक्षा का वचन दिया। शहर समेत पूरे जनपद में रक्षाबंधन का पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस दौरान घरों में विभिन्न पकवान भी बनाए गए।
सोमवार को भाई को राखी बांधती बहनें |
रक्षाबंधन के पर्व का बहनों को बेसब्री से इंतजार रहता है। सावन माह में पूर्णिमा के दिन पांचवें सोमवार को रक्षाबंधन का पर्व पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। सुबह से ही महिलाएं और युवतियां अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए सजी-धजी नजर आईं। अबकी बार दोपहर डेढ़ बजे के बाद ही राखी बांधने का मुहूर्त विद्वान पंडितों ने बताया था। इसको ध्यान में रखते हुए डेढ़ बजे तक बहनों ने पूरी तैयारी की। शुभ मुहूर्त शुरू होते ही शहर और पूरे जिले में बहनों ने भाई-बहन के पवित्र स्नेह का प्रतीक धागा भाइयों की कलाई पर बांधा। बहनो ने पहले भाई की आरती उतारी और फिर माथे पर कुमकुम का तिलक लगाया। इसके साथ ही बहनों ने राखी बांधने के बाद भाइयों को मिठाई खिलाई। भाइयों ने भी बहनों को यथा संभव उपहार दिया और सुरक्षा का वचन दिया।
मवई गांव स्थित तालाब में कजली खोटती महिलाएं व युवतियां |
राखी बांधकर बहनों ने मांगी भाइयों की लंबी उम्र
पैलानी। सोमवार को रक्षाबंधन के पर्व पर बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी। इसके साथ ही भाइयों के लंबी उम्र की कामना की। राखी का यह पर्व भाइयों के द्वारा अपनी बहन की हर संभव रक्षा किये जाने के संकल्प के तहत मनाया गया आज के दिन भाई और बहन का यह पुनीत पावन पर्व हमेशा याद रखा जाएगा बता दें कि
भाई को राखी बांधती बहन |
महाभारत के समय भगवान श्री कृष्ण की उंगली में चोट लग जाने की वजह से द्रौपदी द्वारा अपनी साड़ी का एक पल्ला, चीर फाड़ कर भगवान की उंगली में बांधे जाने का और भगवान को अपना भाई स्वीकार करने तथा संकट काल के दौरान भगवान श्री कृष्ण द्वारा अपनी बहन द्रोपदी की भरी सभा में एक छोटे से चीर के बदले साड़ी बढा कर की गई थी ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण द्वारा इस छोटे से चीर के बदले उन्होंने अपनी बहन द्रोपदी की भरी सभा में लाज बचाई थी तब से यह पावन पर्व आदिकाल से मनाया जाता है। इसके पीछे भाई द्वारा बहन की
रक्षा के लिए यह राखी, रक्षा का पर्व चलता चला आ रहा है। इसी तरह बबेरू में सोमवार को भाई-बहन के पावन पर्व का यह उत्सव रक्षाबंधन पूर्व धूमधाम से मनाया गया। बहनों ने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी। और उनके लंबी उम्र की कामना की। यह पावन पर्व भाई बहनों के अटूट प्यार को दर्शाने के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि पर प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस दिन बहने उनके स्वस्थ जीवन तथा लंबी आयु की कामना करतीहै भाई उन्हें उपहार देते हैं आज कस्बे सहित आसपास के इलाकों पर रक्षाबंधन का यह पावन पर्व धूमधाम के साथ मनाया।
इसी तरह अतर्रा में भाई-बहन की प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार पर बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर रक्षा का संकल्प दिलाया। सोमवार को पूर्णिमा के दिन दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक भद्रा नक्षत्र था, जिसके खत्म होने के बाद दोपहर बाद से शाम तक भाइयों को रक्षा सूत्र बांधना शुभ है । बहनों ने मंदिर में पूजा अर्चना किया।
- - जेल प्रशासन ने मंडल कारागार में रक्षाबंधन पर किए थे बेहतर इंतजाम
- - कारागार में बहनों को दिया गया प्रवेश, राखी बांधते ही फफक पड़े भाई
जिला कारागार में बंदी भाइयों को राखी बांधती बहनें। |
मुलाकात कराई। इसका उद्देश्य रक्षाबंधन पर्व था। कारागार के अंदर पहुंचकर बहनों ने अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधी माथे पर कुमकुम का तिलक लगाकर आरती उतारी। राखी बांधते समय बहनें अपने भाई के सीने से लिपटकर रो पड़ीं। बहनों ने अपने भाइयों का हाल जाना जबकि भाइयों ने भी घर परिवार की कुशलता के बारे में पूछा। कारागार प्रशासन ने बताया कि रक्षाबंधन पर तीन सैकड़ा से ज्यादा बंदियों से बहनों ने मुलाकात करते हुए राखी बांधी। इस दौरान कई बंदियों के बच्चे भी आए हुए थे। उनको भी मंडल कारागार प्रशासन ने अपने पिता से मिलवाया।
- - मवई बुजुर्ग गांव समेत शहर के विभिन्न सरोवरों में खोटी गई कजली
कजली लेकर तालाब की ओर जाती महिलाएं व युवतियां |
लगाकर उनके हाथो की कलाईयों पर रेशम का धागा राखी बांध कर भाईयो को मिठाई खिलाई। इसके बाद भाईयों ने भी अपनी अपनी बहनों की रक्षा करने का वचन दिया और अपनी बहनों को गिफ्ट उपहार देकर रक्षाबंधन पर्व का त्योहार मनाया। वैसे तो रक्षाबंधन की कई पौराणिक कथाएं हैं, लेकिन इनमें से राजा बलि और लक्ष्मी की कथा का बड़ा महत्व है. पौराणिक कथाओं के अनुसार पाताल लोक में राजा बलि के यहां निवासरत देवताओ की मुक्ति के लिए माता लक्ष्मी ने बलि को राखी बांधी थी. राजा बलि अपनी बहन लक्ष्मी जी को भेंट स्वरूप देवताओं को मुक्त करने का वचन दिया था।
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