राजापुर/चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । तुलसीकृत प्राचीन रामलीला कमेटी राजापुर की बैठक रामलीला के मंच में एसडीएम राजापुर प्रमोद कुमार झा व नगर पंचायत अध्यक्ष संजीव मिश्रा की मौजूदगी में संपन्न हुई। नई कमेटी बनाने का निर्णय लिया गया। सोमवार को नगर पंचायत अध्यक्ष संजीव मिश्रा ने कहा कि 27 सितंबर से 15 अक्टूबर तक रामलीला कराई जाएगी। गोस्वामी तुलसीदास की जन्मस्थली राजापुर से ही भगवान श्रीराम के चरित्र का मंचन शुरू हुआ था। सम्मत 1633 में सर्वप्रथम काशी नरेश के यहां भगवान राम की लीला का मंचन प्रारंभ हुआ था। उसी समय गोस्वामी तुलसीदास ने राजापुर के तत्कालीन जमीदारों से मिलकर रामलीला का मंचन प्रारंभ कराया। उसी समय से अनवरत भगवान श्रीराम के चरित्र प्रणेता गोस्वामी तुलसीदास ने रचित रामचरितमानस के आधार पर संपूर्ण लीला का मंचन 18 दिनों तक लगातार किया जाता है। जिससे मानव जीवन को एक सीख मिलती है और उनके लीलाओं का अनुकरण कर यदि मानव जीवन चलने लगे तो जीवन में किसी भी समय कठिनाई व दुख नहीं
बैठक करते कमेटी पदाधिकारी। |
हो सकता। भगवान राम ने त्रेता युग में समय-समय पर अनेकों प्रकार की लीलायें किया था। जिसका अनुकरण करने से दैहिक दैविक भौतिक तीनों प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं। उप जिलाधिकारी राजापुर प्रमोद झा ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास अपनी रामचरितमानस में पित्र प्रेम भाई प्रेम संधि नीति मित्रता पिता के वचन को आदर्श स्वरूप प्रस्तुत किया है। सनातन धर्म मानने वाले लोग आज भी रामचरितमानस देव ग्रंथ के रूप में स्वीकार किया है। भगवान राम के चरित्र प्रणेता गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने अपनी रामचरितमानस में चार वेद शास्त्रों के संपूर्ण रस को समाहित किया है। भगवान राम के चरित्र को देखने से संपूर्ण पाप नष्ट हो सकते हैं। तुलसीकृत प्राचीन रामलीला कमेटी राजापुर में 18 दिवसीय रामलीला का मंचन कराया जाता है, उसमें तहसील प्रशासन संपूर्ण सहयोग प्रदान किया जाएगा। कस्बा राजापुर की साफ-सफाई के साथ प्रकाश की उत्तम व्यवस्था कराई जाएगी। नवरात्रि के दिनों में विशेषकर देवी पंडाल में भी शांति व्यवस्था को पुलिस बल की व्यवस्था कराई जाएगी। इस मौके पर संरक्षक लक्ष्मी नारायण मिश्रा, प्रबंधक राजकुमार उपाध्याय, कार्यवाहक अध्यक्ष सोमनाथ अग्रवाल, सुनील मिश्रा, अनिल त्रिपाठी, शंकर दयाल जयसवाल, दीपक जायसवाल, मंटू गुप्ता, मन्नू लाल सोनी, अशोक द्विवेदी, अनिल मिश्रा, मोनू सोनकर, ओमप्रकाश प्रजापति, विकास अग्रहरि, पं गंगाधर पांडेय, जितेंद्र सोनकर आदि लोग मौजूद रहे।
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