चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जीवन समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणास्रोत है। युवाओं के लिए युवा नरेन्द्र से लेकर 74 वर्ष के पीएम मोदी का जीवन ऐसी ऊर्जा का स्रोत है कि सफलता का राज उनके जीवन मे छिपा है। समाज के शोषित वंचित वर्ग को खुलेआम सम्मान देने वाले उदार हृदय के ऐसे प्रधानमंत्री का जीवन वर्णन बहुत आवश्यक है। जब उन्होंने वाराणसी मे सफाई कर्मियों के पैर धुलकर और सेवा और सम्मान का सबसे बड़ा संदेश दिया था तो इसलिए समाज का हर वर्ग उनके जीवन जीने के तरीके से उपयोगी सीख ले सकता है। अनुशासित और सेवा भाव का जीवन साधारण से असाधारण जीवन यात्रा का बड़ा उदाहरण है। पीएम मोदी के जीवन से कौन नही परिचित? कैसे उन्होंने पिता के कार्य मे हाथ बंटाने का काम शुरु किया तो बचपन से ही सेना की सेवा मे जो सुकून महसूस किया उसे ही जीवन का आधार चुन लिया।
पीएम मोदी से भेंट करते पूर्व सांसद। |
बाल योगी के जैसे सांसारिक मोह माया से दूर वह एक दिन भारत भ्रमण मे भी निकल पड़े और देश की साझा संस्कृति का हृदय से साक्षात्कार किया जैसे युवा अवस्था मे ही उन्हें महसूस हो गया हो कि एक दिन मुझे देश का ही नही विश्व का नेतृत्व करना है। आज एक बार फिर अमेरिका की धरती पर पीएम मोदी की लोकप्रियता का साक्षात उदाहरण नजर आया है। पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के समय लेकर वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडेन के समय तक अगर कुछ नही बदला तो वह भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता का पैमाना नही बदला, विपक्ष कितना भी छाती कूट ले और कोई कितनी बुराई कर ले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हमेशा दिव्य ऊर्जा से भारत और विश्व को बड़े से बड़े मंच पर नजर आते हैं। उनके जन्मदिन पर भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता सेवा भाव से दान करता है, वह रक्तदान हो या फलदान हो और अस्पताल मे हो या किसी जरूरतमंद इंसान को इन दिनो इंसानियत की तस्वीर देश भर मे नजर आती है। पीएम मोदी के जन्मोत्सव को सेवा की हर तस्वीर इंसानियत की बड़ी तस्वीर बना देती है और विश्व मे भारत की आवाज बुलंद हो रही है।
पीएम मोदी का प्रत्येक प्रयास अन्य नेताओं से अलग है और उनके मुकाबले फर्क साफ कर देता है कि विचार को बड़ा मानने वाले नेता हैं वे। उनके ही प्रधानमंत्री कार्यकाल मे नारी शक्ति को तैतीस प्रतिशत आरक्षण का बिल सदन मे पास हुआ जिसका मैं बतौर संसद सदस्य गवाह रहा और यहीं से भारत मे नारी शक्ति वंदन अभियान की शुरुआत हुई जो आगे नारी शक्ति के नेतृत्व की बड़ी क्रांति बनकर उभरेगा। अपनी संकल्प शक्ति व विचार के बदौलत वह विकसित का भारत का संकल्प लेकर एक निश्चित वर्ष 2047 का तय कर देते हैं कि यह एक सीमा रेखा है और प्रत्येक भारतीय के प्रयास से आपसी सहयोग से यह देश विकसित देशों की कतार मे खड़ा होगा।
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