चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। वल्र्ड अर्थ डे विश्व पृथ्वी दिवस पर हर साल 22 अप्रैल को प्रकृति को भविष्य के लिये धरती को स्वस्थ्य बनाने के महत्व पर जागरुकता लाने को गोष्ठी हुई। शनिवार को सामाजिक पर्यावरण चिन्तक/युवा वृक्ष मित्र सर्वेश यादव ने बताया कि एक दिन हम धरती के लिए सोचें, दिन और रात दोनों इसी लिये होते हैं कि धरती घूम रही है। शरीर भी इस धरती से आया अंश है। जो इंसान ये भूल गये हैं कि वे अस्थाई रूप से इस धरती के गर्भ से निकले हैं और एक दिन उन्हें इस धरती में समा जाना है, उनके लिये ये दिन महत्वपूर्ण है। मानवता को लम्बे समय तक कायम रखना है तोे धरती की तरह सोचना और काम करना होगा। मानवता के इतिहास में धरती को बचाने की बात करनी पड़ रही है। जिसने इंसान की हजारों पीढियों से पोषित किया है। उनके बारे में किसी ने कभी नहीं सोचा कि एक ऐसा दिन आयेगा, जब हमें धरती का ख्याल रखना पड़ेगा। आज विकास और अर्थव्यवस्था की
सोच इस हकीकत से दूर ले गई है। अगली पीढी समृद्ध जीवन जिये तो साफ हवा, शुद्ध जल और पोषक भोजन इन सब चीजों के सम्भव होने से मिट्टी में ताकत होनी चाहिए। प्लास्टिक के प्रयोग से बचें और दोबारा इस्तेमाल होने योग्य थैलियों का उपयोग करें। पर्यावरण सुरक्षा को प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जरूरी है। ऊपरी मिट्टी की 12-15 इंच की परत इस धरती पर सत्तासी फीसदी जीवन का आधार है। जिसमें हम भी शामिल हैं। पेड़-पौधे, जानवर, पक्षी, कीड़े और कीट, ये सभी ऊपरी मिट्टी की समृद्धता पर पनपते हैं, लेकिन पिछले 50 सालों में मिट्टी जिस स्तर तक खराब हुई है, वह चिंताजनक है। आर्गेनिक खेती कोई नई चीज नही है। दशकों पुराने उस वक्त में लौटने से है, जब खेती हानिकारक रसायनों या कीटनाशकों के बिना होती थी। इस अर्थ डे पर ज्यादा पेड़ लगाने और आर्गेनिक खेती को चुनने को लोगों का हौसला बढ़ाना होगा।
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