रिपोर्ट देवेश प्रताप सिंह राठौर
बुद्धिजीवी वर्ग ने चर्चा कर जताया विरोध
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग में हुई गोष्ठी
झांसी। सर्वोच्च न्यायालय में जिस रफ्तार से समलैंगिकता विषय पर चर्चा चल रही है उससे शीघ्र ही इस विषय पर निर्णय आ सकता है। इसने समाज में संशय का माहौल उत्पन्न कर दिया है। वर्तमान में विषय की प्रासंगिकता को देखते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग में संगोष्ठी का आयोजन शिक्षक वर्ग के बीच किया गया। विषय की प्रस्तावना रखते हुए पत्रकारिता विभाग के डॉ कौशल त्रिपाठी ने कहा कि जिस प्रकार पूर्व में मैकाले शिक्षा पद्धति ने भारतीय संस्कृति और विशेषकर भारतीय शिक्षा प्रणाली को नुकसान पहुंचाया था उसी प्रकार समलैंगिक विवाह को वैधानिकता देने का प्रयास भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से भारतीय सामाजिक व्यवस्था पर हमले के समान है। समाज कार्य विभाग के सह आचार्य डॉ यतींद्र मिश्रा ने कहा कि ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कुछ पश्चिमी शक्तियां इस मुहिम के विषय में सकारात्मक माहौल बनाने के लिए धन का भी प्रयोग कर रही हैं। समाज करी
विभाग के समन्वयक,सहायक आचार्य अनूप कुमार ने कहा कि सिविल सोसाइटी को इस पर गंभीर चर्चा करनी चाहिए। ऐसे समय में मौन रहना अपराध के समान है। डॉ संतोष पांडे ने बताया कि निश्चिती ही इससे भविष्य में अनेक समस्याएं उत्पन्न होंगी। आज वर्तमान में इसका प्रतिकार ना किया गया तो आने वाली पीढ़ियां हमारे ऊपर व्यंग्य कसेंगी। इस अवसर पर समाज कार्य विभाग के डॉ मोहम्मद नईम, पर्यावरण विभाग के अभिमन्यु सिंह एवं डॉक्टर एके गिरी, सामाजिक कार्यकर्ता रामकेश एवं डॉ अनूप गुप्ता उपस्थित रहे।
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