राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन
कानूनी मान्यता देने का मातृशक्ति ने जताया विरोध
बांदा, के एस दुबे । सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका को अब संवैधानिक 5 सदस्य पीठ को सौंप दिया है। जिसका विरोध भी देखा जा रहा है। इसी को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ के बैनर तले मातृ शक्ति ने कलक्ट्रेट और पुलिस कार्यालय में राष्ट्रपति को संबोधित अलग-अलग ज्ञापन एडीएम को सौंपे। इसमें समलैंगिक विवाह को विधि मान्यता नहीं देने का आग्रह किया है। राष्ट्रीय स्वयंसेविका संघ के बैनर तले मातृ शक्ति ने शनिवार को कलक्ट्रेट पहुंचकर समलैंगिक विवाह को मान्यता देने वाली याचिका पर कड़ा विरोध जताया। कलक्ट्रेट में अपर जिलाधिकारी उमाकांत त्रिपाठी और पुलिस कार्यालय में सीओ सिटी गवेंद्र पाल गौतम को राष्ट्रपति को संबोधित अलग-अलग ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा है कि भारत में विवाह को एक संस्कार के रूप में
एडीएम को ज्ञापन सौंपतीं स्वयंसेविका |
स्वीकार किया गया है। हमारे आदर्श समाज की परंपरा में समलैंगिक विवाह को थोपना विदेशी षड्यंत्र है। विदेशों में चलने वाले मापदंडों को भारतीय समाज के संदर्भ में जर्बदस्ती लागू करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। भारतीय समाज में परिवार मूल संस्कृति व परंपराओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करने का कार्य करता है। यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ षड्यंत्र है। इस समय देश में समलैंगिक विवाह पर सर्वोच्च न्यायालय तत्परता दिखा रहा है, हमारा उनसे अनुरोध है कि हमारा देश सनातन संस्कृति और परिवार का देश है। इसमें समलैंगिक विवाह का कोई कालम नहीं है। भारत के लोग वैवाहिक जीवन, गृहस्थ आश्रम की परंपरा में विश्वास रखते हैं। राष्ट्रपति से देश में समलैंगिक विवाह को हरगिज मान्यता न प्रदान किए जाने की मांग की। ज्ञापन देने वालों में संपर्क प्रमुख अमिता सिंह, वर्षा गुप्ता, शैलजा तिवारी समेत तमाम महिलाएं शामिल रहीं।
No comments:
Post a Comment