बांदा, के एस दुबे । लोकसभा और विधानसभा की तरह नगर निकाय के चुनाव में भी अपने प्रत्याशी का आपराधिक, आर्थिक एवं शैक्षिक रिकॉर्ड जानने का अधिकार मतदाता को है और निकाय चुनाव में भी इसकी व्यवस्था होनी चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य से स्थानीय निकाय के चुनाव में यह व्यवस्था नहीं हो पाई। यह बात आज एडीआर यूपी इलेक्शन वाच की प्रेस कान्फ्रेंस में स्टेट कोआर्डिनेटर अनिल शर्मा ने कही। एक सवाल के जवाब में श्री शर्मा ने कहा कि शहर के मतदाताओं को अपना चुनावी घोषणा पत्र बनाना चाहिए। अभी मतदान के लिए 2 दिन है वह अपना घोषणापत्र बनाएं और वार्ड से लेकर शहर की जो भी समस्याएं हैं, उसका निराकरण कराने के लिए एक रजिस्टर में लिखकर सभी अध्यक्ष प्रत्याशियों और अपने-अपने वार्डों के प्रत्याशियों से हस्ताक्षर करवाएं। ताकि जब वे अध्यक्ष या वार्ड मेंबर बन जाए तो उन्हें उनके द्वारा दिए गए आश्वासन को दिखाकर जन दबाव बनाया जा सके। श्री शर्मा ने कहा कि सभी मतदाताओं को यह बात अच्छी तरह से जान लेनी चाहिए कि जो आज पैसा, दारू
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| प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते एडीआर के स्टेट कोआर्डिनेटर अनिल शर्मा (बाएं) |
या मुर्गा देकर आपका वोट खरीदेगा, कल वो शहर को लूटेगा और आपके ऊपर टैक्स लगाएगा। इसलिए मतदाता को अच्छे और सच्चे प्रत्याशी का चयन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भले ही प्रत्याशी गरीब हो लेकिन अगर उस में ईमानदारी का गुण हैं तो ऐसे में अगर उसे मतदाता चुनते हैं तो किसी भी बाहुबली या धनबली जनप्रतिनिधि के मुकाबले ये गरीब और ईमानदार प्रत्याशी जब जनप्रतिनिधि बनेगा वो ज्यादा बेहतर काम करेगा और मतदाताओं के प्रति जवाबदेह रहेगा। प्रेस कांफ्रेंस को सम्बोधित करते हुए जिला कोआर्डिनेटर सचिन चतुर्वेदी ने कहा कि चुनाव में प्रत्याशी की पात्रता जरूर देखी जानी चाहिये और मतदाता को चाहिये कि वह किसी भी लोभ-लालच में न आये। साथ ही जाति-धर्म से ऊपर उठकर मतदान के दिन अच्छा और सच्चा जनप्रतिनिधि चुनकर लोकतन्त्र की रक्षा करें।

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