रिपोर्ट देवेश प्रताप सिंह राठौर
झांसी उत्तर प्रदेश से जी 20 के अंतर्गत बुंदेलखंड विश्वविद्यालय ने किया आयोजन
झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल के मार्गदर्शन में दो दिवसीय षोडश संस्कार: गर्भाधान संस्कार विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। कुलाधिपति ने अपने दीक्षांत भाषण में इच्छा व्यक्त की थी कि हमें अकादमी शिक्षा के साथ ही सामाजिक एवं जीवन उपयोगी शिक्षा को भी पाठ्यक्रम के रूप में विकसित करने की आवश्यकता है। उन्होंने विशेष रूप से गर्भाधान संस्कार को लेकर पाठ्यक्रम सुनिश्चत किए जाने के लिए कहा। इसी संदर्भ में कुलपति प्रोफेसर मुकेश पाण्डेय द्वारा इस दो दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा तैयार की गई। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि समाज सेविका एवं कई औद्योगिक संगठनों की प्रबंधक पूनम शर्मा ने कहा कि इस कार्यशाला से निश्चित ही छात्राओं में षोडश संस्कारों एवं गर्भाधान संस्कारों के विषय में जागरूकता
बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि विज्ञान की अपनी सीमाएं हैं। लेकिन भारतीय सनातन संस्कृति का ज्ञान जांचा परखा है। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि एवं शिक्षाविद निधि श्रीवास्तव ने कहा कि पूर्व में हमारा समाज संयुक्त परिवार में रहता था इससे हमारी ज्ञान परंपरा के अनुसार महत्वपूर्ण जानकारियां एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंची रहती थी। कई समस्याओं का निदान परिवारिक स्तर पर हो जाता था। आज एकल परिवार मे यह व्यवस्था खत्म हो रही है। इसलिए इस विषय पर पाठ्यक्रम तैयार होने से कई लड़कियों को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम के प्रथम सत्र में रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की वरिष्ठ डॉ अलका सेठी ने गर्भाधान पूर्व में बरती जाने वाली सावधानियों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि आजकल अत्यधिक सिजेरियन प्रसव होने का कारण वर्तमान महिलाओं का कमजोर होना एवं शारीरिक श्रम का अभाव है। कुछ लोग अधिक पीड़ा ना सहन करने कारण भी सिजेरियन का विकल्प चुनते हैं। दूसरे सत्र में योगाचार्य डॉ सुधीर गुप्ता ने गर्भाधान के समय किए जाने वाले विभिन्न योग के बारे में जानकारी प्रदान की। अंतिम सत्र में प्रोफेसर अदिबा सिद्धकी ने गर्भधारण से शिशु के जन्म तक आने वाली समस्याओं पर चर्चा की एवं उनके समाधान के उपाय बताएं। इस कार्यशाला का आयोजन जी 20 समिति, वीरांगना
झलकारी बाई महिला अध्ययन केंद्र, भास्कर जनसंचार और पत्रकारिता संस्थान एवं शिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वधान में किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ में कार्यशाला संयोजक प्रोफेसर अवनीश कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विषय की प्रस्तावना प्रस्तुत की। सहसंयोजक डॉ काव्या दुबे ने दो दिवसीय कार्यशाला में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न व्याख्यानो के बारे में छात्रों को बताया। कार्यशाला सह संयोजक डॉ कौशल त्रिपाठी ने आभार व्यक्त किया। संचालन डॉ अचला पांडे, डॉ दीप्ति, डॉ अंकिता जैस्मिन लाल एवं छात्र रितिक पटेल द्वारा किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर ममता सिंह, डॉ शिप्रा वशिष्ट, डॉ सपना सक्सेना, डॉ श्वेता पांडे, डॉ सुनील त्रिवेदी डॉ संतोष पांडे डॉ अमिता साहू, डॉ जय सिंह, डॉ राघवेंद्र दीक्षित, उमेश शुक्ला, अभिषेक कुमार देवेंद्र सिंह के साथ अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।


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