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Thursday, May 4, 2023

मां का दूध शिशु के लिए होता है अमृत: सीडीओ

एक मई से 30 जून तक चलेगा अभियान

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। शिशु को छह माह की आयु तक जल्द स्तनपान उसके जीवन की रक्षा के लिए जरूरी है। समाज में प्रचलित विभिन्न मिथकों से छह माह तक स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता। परिवार के सदस्य शिशु को घुट्टी, शहद, चीनी का घोल आदि का सेवन करा देते हैं।  इसके नतीजतन शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते है। गुरुवार को एक मई से 30 जून तक सभी कन्वर्जेन्स विभागों आईसीडीएस, स्वास्थ्य, पंचायतीराज, ग्राम्य विकास, शिक्षा विभाग, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग तथा डेवलपमेंट पार्टनर के सहयोग से स्तनपान अभियान किया जा रहा है। शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए स्तनपान जरूरी है। शोध में पाया गया है कि शिशुओं को केवल स्तनपान कराने में मां के दूध के साथ पानी पिलाना प्रमुख बाधाओं में से एक है। यह व्यवहार गर्मियों में बढ़ जाता है। मां के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ पानी भी पर्याप्त मात्रा में होता है। शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है। शिशु को छह माह तक ऊपर से पानी देने की जरूरत नहीं होती है। पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी गर्मियों में शिशु में केवल स्तनपान सम्बन्धी आहार सुनिश्चित करने को एक मई से 30 जून तक अभियान चलाया जा रहा है। 


अभियान के प्रचार-प्रसार को बाल विकास परियोजना कर्वी के तहत आंगनबाड़ी केन्द्र शिवरामपुर में सीडीओ अमृतपाल कौर की मौजूदगी में पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान का शुभारम्भ हुआ। सीडीओ ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य महिलाओं को जागरूक करना है। शिशु को छह माह की आयु तक जल्द स्तनपान उसके जीवन की रक्षा के लिए जरूरी है। शिशु के जन्म के एक घण्टे के अन्दर स्तनपान कराया जाये। उन्होंने बताया कि मां का पहला दूध नवजात शिशु के लिए अमृत होता है। यह शिशु का पहला टीकाकरण है। जो विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाता है। शिशु का पेट साफ करने में मदद करता है। दूध में 90 प्रतिशत पानी होता है। खासतौर से स्तनों से आने वाला पहला दूध जो शिशु की पानी की आवश्यकता पूरी करता है। बाद में निकलने वाला गाढा दूध शिशु की आवश्यकता की समस्त पोषक तत्व देता है। जो शिशु के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए मां के दूध में सभी पोषण तत्व व ऊर्जा होती है। शिशु भूखा हो तो उसे मां का दूध दें। शिशु प्यासा हो तो भी उसे केवल मां का दूध दें। मौसम के तापमान, नमी तथा शिशु के वजन के अनुसार उसे प्रतिदिन सौ मिली लीटर जन्म के पहले सप्ताह आधा 140 से 160 मिली, तीन से छह माह तक की आयु में तरल पदार्थ की आवश्यकता होती है। मां केवल शिशु को स्तनपान करा रही है तो शिशु की सारी तरल पदार्थों की आवश्यकता केवल स्तनपान से ही पूरी हो जाती है। उन्होंने कहा कि समाज में प्रचलित विभिन्न मानताओं व मिथको से छह माह तक स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज कुमार, बाल विकास परियोजना अधिकारी पीडी विश्वकर्मा, बाल विकास परियोजना अधिकारी रामनगर वीरेन्द्र कुमार कुशवाहा, बाल विकास परियोजना अधिकारी शहर बीएल गुप्ता, सौम्या तिवारी व समस्त क्षेत्रीय मुख्य सेविका एवं आंगनबाड़ी तथा कार्यकत्रियों ने हिस्सा लिया।

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