कानपुर, संवाददाता - आज केशव मधुवन वाटिका केशव नगर में महा शिवपुराण कथा का शुभारंभ गणेश वंदना ॐ नमःशिवाय मंत्र के जाप के उपरांत व्यासपीठ सन्त प्रतिमा प्रेम ने दक्ष की पुत्री पार्वती जी के साथ शंकर जी के विवाह का वर्णन विस्तार से बताया। ब्रह्मा जी ने विवाह कराया और दक्षिणा में ब्रम्हा जी ने शंकर जी से कहा आप माता माता पार्वती के साथ कैलाश पर निवास करे औरआपके दर्शन मात्र से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाय। राम के शंकर इष्ट है और शंकर राम की आराधना करते है इस रहस्य को जानने के लिए माता पार्वती ने राम की परीक्षा ली और सीता का रूप धारण करने के कारण भगवान शंकर ने उनका परित्याग किया। दक्षप्रजापति ने द्वेष वश अपने
यज्ञ में भोले शंकर को नहीं बुलाया और न माता पार्वती को बुलाया किन्तु भोले शंकर के मना करने के बाद भी सती ने यज्ञ में जाने की हठ कर ली। किन्तु माता शती ने शिव के अपमान से क्षुब्ध होकर अपने को हवन कुण्ड में समर्पित कर दिया। समिति के महासचिव राजेन्द्र अवस्थी ने व्यासपीठ सन्त प्रतिमा प्रेम का माल्यार्पण कर सम्मानित किया कथा श्रवण हेतु प्रमुख रुप से श्री जयराम दुबे, श्याम बिहारी शर्मा वी के दीक्षित, राज कुमार शर्मा, शंकर लाल परशुरमपुरिया, कृष्ण मुरारी शुक्ला, आर सी श्रीवास्तव, पूनम कुमार, रेनू अवस्थी, मोहनी बाजपेई, जयन्ति बाजपेई, सीमा शुक्ला, जया त्रिपाठी, मुन्नी अवस्थी, जया, स्वेता आदि उपस्थित रहीं।
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