कानपुर, संवाददाता - शिव महापुराण कथा के पंचम दिवस में आज कथा व्यास पूज्य सन्त प्रतिमा प्रेम ने शिव बारात हिमाचल एवम मैना के द्वार पहुंचने के बाद विवाह का वर्णन विस्तार से बताया। शिव जी भभूत,नरमुंडो , सर्प,मृगचर्म आदि से तैयार होकर बूढ़े बैल पर बैठ कर भूत प्रेत पिसाच आदि के साथ जब हिमाचल के दरवाजे पहुंचे तो सभी लोग देख कर कुछ बेहोश हो गए कुछ डर कर भाग खड़े हुए। जब शंकर जी ने सर्प , बिच्छू उतार कर द्वारचार के लिए आए तो सब उनकी खूब सुरती देख कर दंग रह गए। ब्रम्हा जी ने बड़े धूम धाम से मंत्रों के साथ शंकर जी का विवाह कराया। हिमांचल राज ने शंकर पार्वती जी के पैर पूजे, कन्यादान किया। शादी के उपरांत शकर जी
पार्वती के साथ विदा हुए। समिति के महासचिव राजेन्द्र अवस्थी ने बारातियों का स्वागत किया। शिव पार्वती के पैर पूज कर बारात को विदा किया। बरात के स्वागत में में प्रमुखरुप से श्री जयराम दुबे, श्याम बिहारी शर्मा, वी के दीक्षित, राज कुमार शर्मा, शंकर लाल परशुरमपुरिया, देवेश ओझा, कृष्ण मुरारी शुक्ला, आर सी श्रीवास्तव, पूनम कुमार, रेनू अवस्थी, मोहनी बाजपेई, जयन्ति बाजपेई, सीमा शुक्ला, जया त्रिपाठी, मुन्नी अवस्थी, जया, श्वेता, अर्चना, उपासना आदि उपस्थित रहीं।
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