पुलिस लाइन की पुराने बैरक के बरामदे में सो रहा था सिपाही
चार जेसीबी बुलाकर एक घंटे चलाया गया रेस्क्यू
बांदा, के एस दुबे । सोमवार की रात पुलिस लाइन की पुरानी बैरक की छत अचानक भरभराकर ढह गई। इससे बरामदे में सो रहा सिपाही मलबे में दब गया। खबर मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। एसपी समेत पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गया। आनन-फानन में चार जेसीबी मशीनें बुलवाई गईं, तकरीबन एक घंटे तक रेस्क्यू कराया गया। इसके बाद सिपाही को मलबे से बाहर निकालकर जिला अस्पताल लाया गया, वहां पर डाक्टर ने देखते ही सिपाही को मृत घोषित कर दिया। सिपाही की मौत की खबर मिलते ही पुलिस अधिकारी और सिपाही
पुलिस लाइन में बैरकों का निरीक्षण करते पीडब्लूडी विभाग के अधिकारी |
गमगीन नजर आए। शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद पुलिस लाइन में गार्ड आफ आनर देते हुए शव परिजनों के हवाले कर दिया गया। पुलिस लाइन परिसर में दशकों पुराना बैरिक है, जिसका निर्माण ब्रिटिशकालीन बताया जा रहा है। काफी समय से उसके एक हिस्से का उपयोग मीटिंग हाल के रूप में किया जा रहा था। बगल से सिपाहियों के उपयोग के लिये जिम कक्ष भी है। सोमवार की रात तकरीबन डेढ़ बजे पुराने बैरिक की छत अचानक भरभराकर ढह गई। बरामदे में सो रहे सिपाही सोनेलाल यादव (50) पुत्र देवीचरण यादव निवासी कट्टरपुर नगीना
पुलिस लाइन में खड़े मृतक सिपाही के परिजन |
मूसा नगर कानपुर मलबे में दब गया। सूचना पाकर पुलिस अधीक्षक समेत कई थानों और चौकियों का फोर्स पुलिस लाइन पहुंच गया। मलबे में दबे सिपाही को सुरक्षित निकालने के लिये तत्काल चार जेसीबी बुलवाकर मलबा हटवाने को रेस्क्यू चलाया गया। इस काम में तकरीबन दो घंटे का समय लग गया। मलबे में मिले सिपाही को निकालकर जवानों ने इलाज के लिये जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन वहां मौजूद डाक्टर ने सिपाही को मृत
मृतक सिपाही के बेटे दीपक से बात करते डीआईजी डा. विपिन मिश्र |
घोषित कर दिया। मौत की खबर सुनते ही समूचा पुलिस महकमा गमगीन हो गया। रात ही में घटना की जानकारी मृतक सिपाही के परिजनों को दी गई। सूचना पर परिजन मौके पर पहुंच गये। मृतक के पुत्र दीपक यादव ने बताया कि उसके पिता वर्ष 1995 में आरक्षी के पद पर भर्ती हुए थे। दीपक के अलावा उसकी तीन बहनें नीलम, रूबी और पूजा हैं। मां मीरा की तकरीबन 10 साल पहले ही मौत हो चुकी थी।
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