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Thursday, January 30, 2025

बसन्त पंचमी 2 और 3 फरवरी

माघ मास में शुक्ल पक्ष  की पंचमी को बसन्त पंचमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी तिथि को लेकर पंचागो की तिथि में थोड़ा भ्रम है चिन्ताहरण और द्रिक  पंचांग अनुसार माघ शुक्ल पंचमी तिथि की शुरुआत, 02 फरवरी को सुबह 09:14 पर हो रही है। पंचमी तिथि का समापन 03 फरवरी को सूर्योदय होते ही प्रात: 06:52 पर होगा। ऐसे में वसंत पंचमी का पर्व रविवार, 02 फरवरी को मनाया जाएगा। 02 फरवरी को शिव और सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है चन्द्रमा मीन राशि व उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में होगा। 02 फरवरी को सरस्वती पूजा मुहूर्त सुबह 09:14  से दिन 12:20  तक श्रेष्ठ है, काशी के ऋषिकेश एवं महावीर पंचांग अनुसार पञ्चमी  तिथि 2 फरवरी को प्रात: 11:53  लगेगी, जो कि 03 फरवरी को प्रात: 09:36  पर पंचमी तिथि  समाप्त होगी। उद्या तिथि अनुसार बसंत पंचमी 03 फरवरी को मनाई जाएगी । वसंत पंचमी पर साध्य योग, चन्द्रमा मीन राशि व रेवती नक्षत्र में होगा।


03  फरवरी को सरस्वती पूजा मुहूर्त सुबह 6:51  से प्रात: 09:36 तक श्रेष्ठ है  ये पर्व ऋतुराज बसन्त के आने की सूचना देता है। बसंत ऋतु में प्रकृति का सौंदर्य मन को मोहित करता है  अबूझ मुहूर्त होने से इस दिन विवाह, गृह प्रवेश, पद भार, विद्यारंभ, वाहन, भवन खरीदना आदि कार्य अतिशुभ हैं। बसंत पंचमी भारत के आलावा बांग्लादेश और नेपाल में बड़े उल्लास से मनाई जाती है, माँ सरस्वती को शारदा, वीणावादनी, वाग्देवी, भगवती, वागीश्वरी आदि नामों से जाना जाता है। इनका वाहन हंस है। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाते हैं  माँ सरस्वती विद्या, गीत-संगीत, ज्ञान एवं कला की  अधिश्ठात्री देवी है। इनको प्रसन्न करके इनके आर्शीवाद से विद्या, ज्ञान, कला प्राप्त किया जा सकता है। बसन्त पंचमी पर श्वेत वस्त्रावृत्ता माँ सरस्वती की प्रातः स्नान कर इनकी पूजा - अर्चना करनी चाहिए। इनके पूजन में दूध, दही, मक्खन, सफेद तिल के लड्डू, गेहँू की बाली, पीले सफेद रंग की मिठाई और पीले सफेद पुष्पों को अर्पण कर सरस्वती के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और पीले रंग की खाद्य सामग्री के अधिकाधिक सेवन की भी परम्परा है। बसन्त पंचमी के दिन किसान लोग नये अन्न में गुड़-धृत मिश्रित करके अग्नि तथा पितृ- तर्पण करते है।  
भगवान श्री कृष्ण इस बसन्त उत्सव के अधिदेवता है । ब्रज में इस दिन से बड़ी धूम-धाम से राधा- कृष्ण की लीलायें मनाई जाती है। बसंत पंचमी पर कामदेव और रति का पूजन भी किया जाता है। इस दिन से फाग उड़ाना (गुलाल) प्रारम्भ करते है और चौराहों पर अरड़ की डाल होलिका दहन के स्थानों पर लगाई जाती है 

-ज्योतिषाचार्य एस0एस0 नागपाल , स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ

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