बबेरू क्षेत्र के कुचेंदू गांव में आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा
गांव समेत आसपास क्षेत्र के लोग कथा श्रवण को पहुंच रहे
बबेरू (बांदा), के एस दुबे । ग्राम कुचेंदू में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा कि यद्यपि सर्वेश्वर परमात्मा की अनुकम्पा सभी पर समान है। तथापि स्वभक्त पर अनन्य अनुकम्पा है,भगवान् के आराधक तो विपत्तियों में भी उनकी अपरिमित अनुकम्पा का अनुभव करते हैं। कुन्ती माता भगवान् श्रीकृष्ण से सदा विपत्तियों के रहने की कामना करती है,जिससे परमात्मा का अपरोक्ष दर्शन होता है। उससे जन्म-मृत्यु का बन्धन समाप्त हो जाता है। भगवान् का विस्मरण होना ही वस्तुत: विपत्ति है और उनका स्मरण बना रहे यही सर्वोत्तम सम्पत्ति है। इसीलिए कुन्ती माता ने भगवान से विपत्ति का वरदान मांगा है। इनके अतिरिक्त कोई दूसरा
श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करते हुए श्रोता। |
उदाहरण नहीं है,जिसने भगवान से विपत्ति का वरदान माँगा हो। भीष्म चरित्र में बताया पितामह ने भगवान श्रीकृष्ण का प्रत्यक्ष दर्शनऔर विष्णुसहस्रनाम का उच्चारण करते हुए परमपद को प्राप्त किया। परीक्षित जन्म, सुकदेव आगमन, सृष्टि प्रकरण आदि की कथा का विस्तृत वर्णन सुनाया। इस अवसर पर आयोजक सरोज द्विवेदी ,करपात्री द्विवेदी,रामनरेश मिश्र, शैलेन्द्र ,देवनाथ,अरुण कुमार,आदि उपस्थित रहे। इसके साथ ही गांव समेत आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने के लिए पहुंच रहे हैं।
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