Pages

Friday, February 7, 2025

हर शीशे में नजर आती है तेरी तजल्ली, जब से इस दिल में तेरी है जलवागिरी

उर्स नकीबुल औलिया के मौके पर आयोजित हुआ मुशायरा

बांदा, के एस दुबे । शहर के छिपटहरी स्थित दरगाह में हज़रत अल्लामा अल्हाज सैय्यद सरताज मसूदी (मुबीन मिया) का 25वां सालाना उर्स का आयोजन हुआ। उर्स के दूसरे दिन गुरुवार की रात छिपटहरी स्थित मसूदी आवास में एक तरही मुशायरे का आयोजन हुआ मुशायरे की सदारत सैय्यद खुशतर रब्बानी ने की निज़ामत नज़रे आलम ने की। मुशायरे की शुरुआत मुनव्वर ने तिलावते कुरआन से की। इसके बाद सैय्यद ताबिश अली ने नात पढ़ी। तरही मुशायरे की शुरुआत करते हुए अख़ज़र ने पढ़ा, हर शीशे में नज़र आती है तेरी तजल्ली। जबसे मेरे इस दिल मे तेरी जलवागरी है। डाक्टर खालिद इज़हार ने कलाम सुनाया, बारिश में सभी यूं तो नहाते हैं मगर ये। फैज़ान की बारिश

मुशायरे में कलाम पढ़ते शायर।

में नहाने की घड़ी है। मुशायरे के आयोजक सैय्यद आमिर मसूदी ने शेर सुनाया, खुद जिसने नमाज़ अपने जनाज़े की पढ़ाई। कलियर का वो सुल्तान भी औलादे अली है। सैय्यद गौहर रब्बानी का कलाम था, ये मेरी नज़र है न गिरी है न पड़ी है। लैला से नहीं पीर के जलवो से लड़ी है। शमीम बांदवी ने कलाम सुनाया, कुछ और पता मुझको नहीं है, है पता ये। बिगड़ी मेरी तकदीर इसी दर से बनी है। इन शायरों के अलावा दर्द बांदवी, फ़ाज़िल मसूदी, आदिल मसूदी, शरीफ बांदवी, हकीम बशीर तालिब, मास्टर नवाब अहमद असर, ताहिर मसूदी, महज़र फरुखाबादी, अकबर रब्बानी, नूर मोहम्मद, सुहैल बांदवी, रहबर रब्बानी, मसूद रब्बानी, गुफरान रब्बानी, आदि ने अपने अपने कलाम सुनाए। अंत में मुशायरे की सदारत कर रहे, सैय्यद खुशतर रब्बानी ने दुआए खैर की।


No comments:

Post a Comment