कुलगुरु के खिलाफ गूंजे बगावत के नारे
प्रशासन की हठधर्मिता से बिगड़े हालात
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय इन दिनों भीषण आंदोलन की चपेट में है। संयुक्त कर्मचारी संघ द्वारा भविष्य निधि (सीएफ व पीएफ), पेंशन और नियमित वेतन जैसी तीन प्रमुख मांगों को लेकर चार फरवरी से चल रहे आंदोलन को विश्वविद्यालय प्रशासन की बेरुखी और तानाशाही रवैये के कारण 20 फरवरी से क्रमिक भूख हड़ताल में तब्दील कर दिया गया है। कर्मचारियों का आरोप है कि प्रशासन लगातार
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क्रमिक भूख हड़ताल में बैठे कर्मचारी |
उनकी जायज मांगों को नजरअंदाज कर रहा है, जिससे उनका गुस्सा अब उबाल पर है। चार फरवरी से सैकड़ों कर्मचारी विश्वविद्यालय गेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, आंदोलनकारियों का धैर्य जवाब देने लगा और अंततः उन्होंने भूख हड़ताल का रास्ता अपनाने का ऐलान कर दिया। इस आंदोलन के दौरान पूरा परिसर गूंज उठा ’’कुलगुरु तेरी तानाशाही नहीं चलेगी’। कर्मचारियों ने साफ चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। कर्मचारियों का कहना है कि भविष्य निधि का अता-पता नहीं, पेंशन का कोई प्रावधान नहीं व नियमित
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सैकडों की संख्या में आंदोलन करते कर्मचारी |
वेतन के लिए हर महीने संघर्ष करना पड़ता है। ऐसे में वे अपने अधिकारों की लड़ाई मजबूती से लड़ने को तैयार हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन की इस बेरुखी ने कर्मचारियों को आर-पार की लड़ाई के लिए बाध्य कर दिया है। स्थिति को बिगड़ता देख अब आंदोलन विस्फोटक मोड़ पर पहुंच गया है और अगर जल्द समाधान नहीं निकला, तो विश्वविद्यालय प्रशासन के लिए हालात संभालना मुश्किल हो सकता है। वहीं भूख हड़ताल के इस नए चरण के बाद अब विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। अब सबकी नजरें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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