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Thursday, November 13, 2025

पराया धन नहीं, गर्व की पहचान हैं बेटियां- किशोरियों को ममता संस्था ने दिखाया नया रास्ता

शिक्षित बेटी ही सशक्त भारत की नींव 

बेटियां बनीं बदलाव की पहचान 

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर ममता हेल्थ इंस्टिट्यूट फॉर मदर एंड चाइल्ड संस्था ने अपनी प्रोजेक्ट जाग्रति-4 पहल के तहत ग्राम कौहारी माफी और परसौजा इंटर कॉलेज में एक प्रेरणादायक कार्यक्रम आयोजित कर किशोरियों में शिक्षा और समानता की अलख जगाई। संस्था की टीम ने बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए यह संदेश दिया कि लड़के और लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए, दोनों को समान अवसर और शिक्षा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लड़कियों की शिक्षा न केवल उनके जीवन को संवारती है बल्कि समाज के आर्थिक, सामाजिक और नैतिक विकास की दिशा तय करती है। कार्यक्रम में बताया गया कि शिक्षित बेटियां आत्मनिर्भर बनती हैं, बेहतर रोजगार पाती हैं और बाल विवाह, दहेज जैसी

बेटियों को सम्मानित करते समाजसेवी

सामाजिक बुराइयों से समाज को मुक्त करने में अग्रणी भूमिका निभाती हैं। बेटियों को पराया धन मानने की मानसिकता का विरोध करते हुए कहा गया कि उनके जन्म पर खुशियां और उत्सव मनाना ही सच्ची प्रगति का प्रतीक है। ममता संस्था ने वीडियो और रोल प्ले के माध्यम से किशोरियों को जागरूक किया तथा मेधावी छात्राओं को रिवॉर्ड किट देकर सम्मानित किया ताकि उनमें पढ़ाई के प्रति उत्साह और आत्मविश्वास बढ़े। विद्यालय के प्रधानाचार्य पंकज सिंह, प्रबंधक कुलदीप यादव और परसौजा इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य सराफत खान ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि किशोरियों के सर्वांगीण विकास और सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में ममता हेल्थ इंस्टिट्यूट का यह प्रयास सराहनीय और अनुकरणीय है।

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