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Thursday, November 13, 2025

कलेक्टर के दावों पर श्रीमंत प्रभाकर राव का पलटवार- पेशवा फोर्ट पर झूठ की दीवारें

पेशवा की धरोहर है पुरानी कोतवाली

पेशवा फोर्ट की अस्मिता पर उठा सवाल

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । पुरानी कोतवाली परिसर, जिसे इतिहास जानने वाले आज भी पेशवा फोर्ट के नाम से पुकारते हैं, एक बार फिर विवादों के घेरे में है। हाल ही में चित्रकूट कलेक्टर द्वारा इस परिसर को नजूल भूमि बताने संबंधी बयान से पूरे जनपद में हलचल मच गई है। श्रीमंत प्रभाकर पेशवा ने इस दावे को जनता को भ्रमित करने वाला बताते हुए तीखी आपत्ति दर्ज कराई है। उनका कहना है कि प्रशासन अधीनस्थ कर्मचारियों की अधकचरी रिपोर्टों पर भरोसा कर इतिहास से खिलवाड़ कर रहा है। श्रीमंत पेशवा ने कहा कि 1824 से चित्रकूट-ढबौरा-मानिकपुर राज्य पेशवा सरकार बहादुर के अधीन रहा, जिसमें वर्तमान चित्रकूट का आधा भाग पेशवा शासकों के

पुरानी कोतवाली

नाम दर्ज था। 1857 की क्रांति के समय जब पेशवा महाराज ने अंग्रेजों के विरुद्ध शस्त्र उठाए, तो ब्रिटिश सेना ने हार के बाद उनकी जायदाद जब्त कर ली और उन्हें इसी ऐतिहासिक किले में बंदी बना दिया। तभी से यह स्थान पुरानी कोतवाली कहलाया। इतिहास बताता है कि 1871 की आम माफी के उपरांत ब्रिटिश सरकार ने यह परिसर और आसपास के 18 गांव पेंशन स्वरूप पेशवा परिवार को लौटाए, जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद तक उनके नाम दर्ज रहे। किंतु वर्ष 2023-24 में अचानक यह भूमि गुप्त रूप से नजूल घोषित कर दी गई, और 17 दिन बाद नगर पालिका ने ऐतिहासिक भवनों को होटल निर्माण के लिए गिराना प्रारंभ कर दिया। पूर्व कलेक्टर व सीईओ मूकदर्शक बने रहे,
पेशवा श्रीमंत प्रभाकर राव

जबकि पेशवा वंशजों को हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। न्यायालय के आदेश के बाद ही ध्वस्तीकरण रुका। वर्तमान में इस मामले से जुड़े चार मुकदमे हाईकोर्ट और सात जिला न्यायालय में लंबित हैं, जिनमें राष्ट्रद्रोह और कोर्ट की अवमानना जैसे गंभीर आरोप भी शामिल हैं। श्रीमंत प्रभाकर पेशवा ने कलेक्टर से कहा है कि जब तक दोषियों पर कार्यवाही न हो, तब तक इस परिसर में किसी भी निर्माण कार्य को असंवैधानिक माना जाए। उन्होंने दो टूक कहा कि यह जमीन इतिहास की नहीं, हमारी अस्मिता की धरोहर है- अदालत बोलेगी, सत्य सामने आएगा।


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