सुप्रीम कोर्ट में एआई विनियमन पर ऐतिहासिक सुनवाई - Amja Bharat

Amja Bharat

All Media and Journalist Association

Breaking

Monday, December 8, 2025

सुप्रीम कोर्ट में एआई विनियमन पर ऐतिहासिक सुनवाई

केंद्र ने मसौदा नियम पेश किए, कार्यवाही समाप्त

फतेहपुर के युवा अधिवक्ता अनिमेष शुक्ला की सुप्रीम कोर्ट में दलील

फतेहपुर, मो. शमशाद । कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के दुरुपयोग, डीपफेक्स और अनियंत्रित एआई सिस्टम के बढ़ते खतरे को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने विगत चार दिसंबर को महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया। यह जनहित याचिका (रिट पिटीशन नं0-1127/2025) आरती शाह बनाम केंद्र सरकार, पिछली 17 अक्टूबर को दायर हुई थी, जिसमें भारत में एआई के लिए समग्र नियामक ढांचे, लाइसेंसिंग व्यवस्था और जवाबदेही तंत्र लागू करने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट के युवा अधिवक्ता अनिमेष शुक्ला।

गौरतलब है कि इस पीआईएल के दाखिल होने के मात्र छह दिनों बाद 23 अक्टूबर 2025 को केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा-निर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) संशोधन नियम 2025 का मसौदा सार्वजनिक टिप्पणियों हेतु जारी कर दिया। सुनवाई के दौरान प्रतिवादियों ने सुप्रीम कोर्ट को यही मसौदा नियम प्रस्तुत किए। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में युवा अधिवक्ता अनिमेष शुक्ला ने बहस की, जबकि केंद्र सरकार और प्रमुख टेक कंपनियों-गूगल, मेटा और फेसबुक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने पक्ष रखा। प्रधान पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने की। उन्होने माना कि एआई के बढ़ते दुरुपयोग से निजता, चुनावी प्रक्रिया, सामाजिक विश्वास और साइबर सुरक्षा पर गंभीर खतरे उत्पन्न हो रहे हैं। अदालत ने प्रतिवादियों द्वारा प्रस्तुत मसौदा नियमों को इस मुद्दे के समाधान की दिशा में एक व्यवस्थित प्रारंभिक कदम बताया। सर्वाच्च न्यायालय ने कहा कि चूंकि केंद्र सरकार 23 अक्टूबर को (पी0आई0एल0 दिनांक-17 अक्टूबर, 2025 दाखिल के बाद) पहले ही मसौदा नियम जारी कर चुकी है और सार्वजनिक टिप्पणी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, इसलिए याचिका को खारिज करने के बजाय गुणदोष के आधार पर निपटाते हुए कार्यवाही समाप्त की जाती है। याचिकाकर्ता का कहना है कि एआई के दुरुपयोग विशेषकर डीपफेक्स, बायोमेट्रिक डेटा के अनाधिकृत उपयोग और असुरक्षित एआई मॉडल को रोकने के लिए भारत में एक मजबूत नियामक एवं लाइसेंसिंग ढ़ांचा अत्यंत आवश्यक है। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले युवा अधिवक्ता अनिमेष शुक्ला मूलतः उत्तर प्रदेश के फतेहपुर शहर के निवासी हैं। मात्र 24 वर्ष की आयु में वे अनेक बार सर्वाच्च न्यायालय में प्रभावी बहस कर चर्चा में आ चुके हैं। वर्तमान में ये दिल्ली विश्वविद्यालय के लीगल पैनल में शामिल हैं और प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, युवा अधिवक्ता अनिमेष शुक्ला ने इससे पहले भी सर्वाच्च न्यायालय में वक्फ से संबंधित महत्वपूर्ण मामले तथा बिहार के चर्चित एसआईआर (विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम) मामले में प्रभावपूर्ण रूप से पक्ष रख चुके हैं। फतेहपुर के चित्रांश नगर निवासी कृषक सुरेश शुक्ला के पुत्र अनिमेष अपनी मेहनत, क्षमता और उत्कृष्ट वकालत के माध्यम से देश की राजधानी दिल्ली में अपना सशक्त स्थान बनाते हुए जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं।


1 comment:

  1. बहुत बहुत बधाई हो। फतेहपुर का नाम ऐसे ही रोशन करते रहो।

    ReplyDelete

Post Bottom Ad

Pages