रारा-दलीपुर गौशाला में पहले भी हो चुका है यह खेल
तत्कालीन ग्राम सचिव को कर दिया गया था निलंबित
फतेहपुर, मो. शमशाद । गोवंश संरक्षण की मुहिम को रारा गौशाला में एक के बाद एक झटका लग रहा है। कारनामों के लिए फिर इस गौशाला का नाम सामने आ रहा है। पिछले साल ही इस गौशाला से वास्ता रखने वाले प्रधान और सचिन पर चारा के बजाय धान बोने पर कार्रवाई का चाबुक चला था जिस पर सचिन को निलंबित कर दिया गया था और गांव की मुखिया से स्पष्टीकरण मांगा गया था। चर्चा में आई इस कार्रवाई का ठीक से अंत भी न हो पाया था कि एक बार फिर इसी गौशाला का नाम दाना और चारा के नाम पर हो रहे खेल से सामने आ रहा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गौशाला के लिए आरक्षित जिस जमीन पर नेपियर घास खड़ी होनी होनी चाहिए थी। वहां पर धान की फसल दिखाई दे रही है।
ग्राम समाज की भूमि में लगा गेहूं। |
भिटौरा ब्लॉक के रारा दलीपुर गौशाला से करीब 300 मीटर की दूरी पर चक रोड की पुराई कराकर 6 बीघा रकबा पर मनरेगा से मेडबंदी और समतलीकरण का काम करा करके इस जमीन पर नेपियर घास उगाने के लिए तैयार किया गया। गाटा संख्या 1264 की इस 6 बीघा जमीन पर घास उगाने के बजाय गेहूं खड़ा कर दिया गया। जिस जगह पर यह गेहूं खड़ा हुआ है। उसे जगह को झलरा खेत के नाम से जाना जाता है। इस मामले के सामने आने के बाद पंचायत राज विभाग के मुखिया डीपीआरओ उपेंद्र राज सिंह ने मामले की जांच शुरू कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि एक बार फिर कार्रवाई की जद में ग्राम प्रधान और सचिव को आना होगा। बताते चलें कि पिछले साल ग्राम प्रधान रामरेखा और सचिव रणधीर सिंह के खिलाफ प्रशासनिक एक्शन हुआ था। ऐसा इसलिए क्योंकि रण गौशाला की 13 बीघा जमीन पर खेल किया गया था। यहां पर गौशाला में प्रत्यय पाने वाले मवेशियों के लिए चारा न उगा कर धान खड़ा कर दिया गया था। इस मामले में डीपीआरओ उपेंद्र राज सिंह ने ग्राम प्रधान को धारा 95 छ के तहत नोटिस भेजी थी। सचिन को निलंबित कर दिया था। पिछले साल के मामले में पंचायत राज विभाग के अफसर ने माना था कि दान की रोपाई की अनमत नहीं ली गई थी और ना ही धान की फसल की रकम गौशाला के खाते में जमा की गई।
ऊसर जमीन को चारा बोने लायक बनाया जा रहा था
फतेहपुर। भिटौरा ब्लॉक की रारा ग्राम पंचायत के तत्कालीन सचिव रणवीर सिंह का कहना है कि किसी तरह का कोई घटना नहीं किया गया था। उसर की जमीन को चारा उगाने लायक बनाने के लिए धान व गेहूं की फसल को उपजाना जरूरी होता है। बस वही किया जा रहा था। इस मामले को दूसरे नजरिए से देखा गया।
जानकर भी अनजान से उठ रहे सवाल
फतेहपुर। रारा गौशाला की देखरेख मौजूदा वक्त सचिव सत्येंद्र कुमार पर है। जुलाई के महीने में इन्होंने यहां का चार्ज संभाला। पिछले साल जिस तरह से कार्रवाई का चाबुक चला और मौजूदा वक्त चारा के स्थान पर जिस तरह से फसल नजर आ रही है उससे सचिन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
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