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Wednesday, January 15, 2025

मौलाना इब्राहीम रजा चतुर्वेदी ने की संस्कृत-उर्दू में तकरीर

नरौली शरीफ के जलसे में पढ़े गए नातिया कलाम

खागा, फतेहपुर, मो. शमशाद । आबरूए चिश्तियत कलंदरे आज़म हजरत ख्वाजा इफाहामुल्लाह उर्फ अब्बा हुजूर की याद में जामिया सफ़विया इफ्हामुल उलूम नरौली शरीफ विकास खंड हथगाम में आयोजित उर्स मुबारक के मौके पर देर रात नातिया मुशायरा एवं तकरीर का कार्यक्रम चला जिसमें मौलाना इब्राहीम रजा चतुर्वेदी सीतामढ़ी बिहार ने उर्दू के साथ-साथ संस्कृत के श्लोकों का पाठ करते हुए शानदार तकरीर पेश की और भाईचारे का पैगाम दिया। शायरों ने नबी की शान में नातिया कलाम पेश किए। दोनों ने दीनी बातों का जिक्र करने के साथ-साथ मुल्क में अमन-चैन, मुहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया। मुल्क की तरक्की की दुआ की। बताया गया कि हर धर्म में इंसानियत और मोहब्बत सबसे अहम है। सज्जादानशीन हजरत हाशिम हुसैन ने सभी शायरों एवं मौलाना का इस्तकबाल किया। उर्स मुबारक में कई राज्यों के मुरीदों का जमावड़ा रहा।

जलसे को खेताब करते मौलाना इब्राहीम रजा चतुर्वेदी।

सज्जादा नशीन के खास मुरीद शायर डॉ. वारिस अंसारी ने बताया कि सुबह गुस्ल शरीफ हजरत ख्वाजा इफ्हामुल्लाह शाह की मजार पर हुआ। हजरत की मौजूदगी में नातिया कलाम पेश किए गए। कुरान की तिलावत से जलसे का आगाज़ किया गया। सीतामढ़ी बिहार से आए मौलाना इब्राहीम रजा चतुर्वेदी ने चारों वेदों का उल्लेख करते हुए इस्लाम से जुड़ी चार किताबों का जिक्र किया। उन्होंने संस्कृत के श्लोकों का उल्लेख करते हुए उर्दू में यह समझाने का प्रयास किया कि सभी धर्मों में काफी समानताएं हैं और सभी ने नबी सल्लल्लाहु वसल्लम को महान सोशल रिफॉर्मर माना गया है। मौलाना चतुर्वेदी ने फरमाया कि पूरे संसार में 992 धर्मों को मानने वाले लोग हैं। इस्लाम धर्म में कलमा इतना पाक है कि जो भी दिल से पढ़ता है, उसके पाप मिट जाते हैं। सूफी संतों के दरबार में हिंदू मुसलमान सभी अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार रहते हैं। वली का उर्स मनाने से कौन रोकेगा, हमें बहिश्त में जाने से कौन रोकेगा, हजारों बार नरौली शरीफ आएंगे, दयारे पीर है आने से कौन रोकेगा, जलसे के नाजिम हाफिज अब्दुर्रहमान के इन अशआर से मौलाना इब्राहिम चतुर्वेदी साहब को खिताब के लिए मदऊ यानी आमंत्रित किया गया। इस मौके पर केके सिंह चंद्रपुर, मौलाना शादाब रजा, मौलाना रेहान अहमद, कारी अंसार, हाशिम हबीबी, मुस्तफा खान, वसीम खान, आजाद कानपुरी, रफीक चंद्रपुर, नासिर मुंबई, शंकर धूमेन चंद्रपुर, कोलकाता के विश्वजीत विश्वास, दीपक विश्वास, अफजाल अहमद, दाऊद कानपुरी, अरशद, कवि एवं शायर शिवशरण बंधु हथगामी, शिवम हथगामी आदि अनेक मुअज्जिज जलसे में मौजूद रहे। मुरीदे-खास डॉ वारिस अंसारी मुख्य इंतजाम कर रहे।


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