बेशकीमती सागौन, शीशम, नीम के पेड़ों की हो रही कटान
वन विभाग मामूली जुर्माना कर झाड़ रहा है पल्ला
नरैनी, के एस दुबे । सीमावर्ती कालिंजर क्षेत्र में लकड़ी माफिया द्वारा हरे पेड़ो की खुलेआम कटान की जा रही है। लाखों रुपए कीमत की सागौन, शीशम, नीम आदि की कटान कर अवैध कमाई की जा रही है। बड़ी मात्रा में लकड़ी पकड़े जाने पर भी वन विभाग मामूली जुर्माना कर पल्ला झाड़ रहा है। वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की बेपरवाही के कारण कालिंजर क्षेत्र में हरे पेड़ों का जबरदस्त कटान की जा रही है। यही नहीं लकड़ी माफिया सीमावर्ती मध्य प्रदेश के सतना और पन्ना जिलों के जंगलों से सागौन के हरे पेड़ों की अवैध कटान कर यहा यूपी में महंगे दामों में बेच रहे हैं। शुक्रवार को थाना कालिंजर में तैनात कांस्टेबल पवन कनौजिया ने वन विभाग के दरोगा को फोन कर सूचना दी। बताया कि तरहटी कालिंजर निवासी महेश सोनकर पुत्र कल्लू के घर पर और घर के पीछे पड़े खेत में बड़ी मात्रा में कीमती और इमारती लकड़ी का ढेर लगा हुआ है। जानकारी के बाद वन
नरैनी : अवैध कटान की लकड़ियां देखते वन विभाग कर्मी |
विभाग के स्थानीय कर्मचारी सक्रिय हुए और मौके पर पहुंचे। मौके पर पड़े शीशम, सागौन और नीम की प्रतिबंधित लकड़ी की नापजोख कर अपने कब्जे में ले लिया। गांव के लोगों की माने तो शीशम और सागौन की दो ट्रक से अधिक लकड़ी पकड़ी गई है, जिसका बाजार में मूल्य 20 से 25 लाख रुपए है। क्षेत्रीय वन दरोगा धर्म नारायण द्विवेदी ने बताया कि आरोपी महेश सोनकर से वन विभाग के जिला कार्यालय में 50 हजार रुपए बतौर जुर्माना जमा कराया गया है। विभाग के रेंजर अवकाश में हैं। इसलिए जुर्माने की रसीद नहीं काटी गई है। बताया कि एक पेड़ नीम और एक पेड़ शीशम के अलावा मध्य प्रदेश से लाए गए सागौन की लकड़ी है। बताया कि 4/10 ग्रामीण वन अधिनियम के तहत इस लकड़ी को किसानों की लकड़ी माना गया है। इस संबंध में प्रभागीय वनाधिकारी से फोन पर जानकारी लेने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। ग्रामीणों की माने तो वन विभाग के संरक्षण में लकड़ी तस्करी का अवैध कारोबार यहां लंबे समय से फल फूल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि विभाग के कर्मचारियों के सहयोग से वन संरक्षित क्षेत्र की 100 मीटर परिधि में यहां लगी दो आरा मशीनों में ऐसी तमाम अवैध और प्रतिबंधित लकड़ियों का चिरान और बिक्री यहां बहुत पहले से चल रहा है।
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