शहर के एक मैरिज हाल में हो रहा श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन
बांदा, के एस दुबे । वर्तमान में मनुश्य अपने परिश्रम से अर्जित धन पर अपना एकाधिकार समझने लगा है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिये। दरअसल धन की पांच गलियां होती हैं, जिसमें सबसे पहला निवेश धर्म से करना आवश्यक है। यह विचार चित्रकूटधाम से पधारे भागवत रत्न आचार्य नवलेश दीक्षित ने मंगलम मैरिज हाल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन उपिस्थत श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए। आचार्य नवलेश ने समझाया कि आज के युवाओं, व्यवसायियों और नौकरीपेशा लोगों को चाहिये कि वह अपने परिश्रम से अर्जित धन का पहला भाग धर्मयुक्त कार्यों में लगाएं। धर्मकार्य जैसे कथा आयोजन, बा्रम्हणों को दान, कन्या पूजन, गौ सेवा आदि श्रेष्ठ कार्यों में
श्रीमद्भागवत कथा का बखान करते आचार्य नवलेश महाराज। |
निवेष करना चाहिये। इसके बाद धन का दूसरा निवेष कीर्ति के लिए तीसरा निवेश धन के विस्तार के लिए, चौथा निवेष परिवार के पालन पोषण और उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए और पांचवां निवेश स्वजनों की प्रसन्नता और सहयोग के लिए करना चाहिये। आचार्य ने उदाहरण देते हुए कहा कि राजा बलि के गुरू शुक्राचार्य ने राजा को समझाया था कि धन का उपयोग केवल स्वयं के सुख के लिए नप करें। धन का सही उपयोग समाज और धर्म के कल्याण के लिए करें। श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य नवलेश महाराज ने राजा पृथु के जीवन का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि उन्होंने संसार को पुरुषार्थ करना सिखाया। पृथु ने खेती करने की विधि और बीजों की रक्षा का महत्व समझाया। साथ ही 24 अवतारों की कथा सुनाते हुए ध्रुव चरित्र का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि बालक की
भागवत कथा के दौरान वादन करते हुए। |
प्रथम गुरू उसकी मां होती है। ध्रुव को धर्मयुक्त जीवन जीने की प्रेरणा उनकी मां सुनीति से मिली थी। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में अभिभावकों को चाहिये कि बच्चों को अच्छे संस्कार दें। वर्तमान में अधिकतर लोग अपनी जिम्मेदारियों से बचते हैं, लेकिन अपेक्षाएं ज्यादा रखते हैं। कथा का आयोजन शहर के प्रतिश्ठि परिवार जितेंद्र शर्मा और उनकी पत्नी अंकिता बल्ली ने किया। यह आयोजन उन्होंने अपने माता पिता रामदास शर्मा और मेवाराम शर्मा के पुण्य स्मरण में किया। कथा के दौरान संगीत की सुमधुर प्रस्तुतियों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया। राघवेंद्र और विनोद की जुगलबंदी ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कथा समापन के बाद मंगला आरती और प्रसाद का वितरण किया गया। अयोध्या धाम पदयात्रा से लौटे नंदिकशोर तिवारी उर्फ भोले महाराज ने व्यासपीठ पर पहुंचकर आचार्य नवलेश को अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया।
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