माघ मास की पूर्णिमा तिथि को माघी पूर्णिमा कहते है इस वर्ष माघी पूर्णिमा 12 फरवरी को है माघ पूर्णिमा को स्नान, दान एवं यज्ञ का बड़ा महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन देवतागण गंगा स्नान के लिए तीर्थराज प्रयाग की धरा पर आते हैं। इसी दिन माघ स्नान का अन्तिम स्नान होता है और इसी के साथ कल्पवास समाप्त होता है। माघ पूर्णिमा की तिथि का प्रारम्भ 11 फरवरी को सांयकाल 06:55 पर होगा और तिथि का समापन 12 फरवरी को सांयकाल 07:22 पर होगा, उदया तिथि अनुसार 12 फरवरी बुधवार को माघ पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. इस बार का माघ पूर्णिमा व्रत, स्नान और दान एक ही दिन होगा, माघ पूर्णिमा को चन्द्रमा कर्क राशि में होगा, प्रात:काल से सौभाग्य योग बनेगा, जो सुबह 8 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. उसके बाद से शोभन योग बनेगा, जो पूर्ण रात्रि तक है। माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय सांयकाल 05 :47 पर होगा। पदम् पुराण
में माघ स्नान का महत्व बताते हुए कहा है कि चक्र तीर्थ में श्री हरि का और मथुरा में श्री कृष्ण का दर्शन करने से मनुष्य का जो फल मिलता है वहीं माघ मास में स्नान करने से फल मिलता है। माघ पूर्णिमा के दिन गंगातट या किसी तीर्थ स्नान के सरोवर या नदी तट पर स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गाय, तिल, गुड़, कपास, घी, लडडू , फल, अन्न एवं कम्बल के दान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पितरों का श्राद्ध भी करना चाहिए। मान्यता के अनुसार माघ पूर्णिमा पर प्रात काल स्नान करने से रोगों का नाश होता है. दान करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली तमाम बाधाएं दूर होती हैं. देवताओं का विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है. माघी पूर्णिमा पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है, 12 फरवरी को कुम्भ संक्रांति भी है सूर्य मकर राशि से निकल कर रात्रि 10:04 पर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे, संक्रांति का पुण्यकाल 12 फरवरी को दिन 12:21 से सांयकाल 05:56 तक रहेगा। 12 फरवरी को संत रविदास जयन्ती और स्वामी दयानन्द सरस्वती जयंती भी मनाई जायेगी


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