अपने सच्चरित्र से सदाचार की शिक्षा देते हैं भगवान्
बबेरू, के एस दुबे । श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य अभिषेक शुक्ल ने कहा कि भगवान् अपने सच्चरित्र से मनुष्य को सदाचार की शिक्षा प्रदान करने के लिए मर्त्यधर्म को स्वीकार करते हैं,जैसे पतंग डोर का आश्रय लेकर आकाश में ऊंचाई तक उड़ती रहती है किन्तु डोर से सम्बन्ध समाप्त होते ही वह पतित हो जाती है,उसी प्रकार मनुष्य भी जब तक सत्य,सदाचार,अहिंसा आदि मानवीय गुणों से युक्त होकर कर्तव्य का परिपालन करता हुआ जीवन
श्रीमद्भागवत कथा व्याख्यान करते आचार्य अभिषेक शुक्ल |
पथ पर अग्रसर रहता है। तभी तक उसे सफलता अधिगत होती है,किन्तु जैसे ही सदाचार रूपी डोर से उसका सम्बन्ध समाप्त होता है। वह मार्गच्युत व्यक्ति नाना प्रकार के दुखों को भोगता हुआ पतन के मार्ग पर गिर जाता है,किसी का भी उत्थान तथा पतन उसके स्वजनों के आचरण पर भी निर्भर रहता है। सुजनों को सदा स्वकुल के सदस्यों को सदाचारी बनाने का प्रयास करना चाहिए,जैसे नदियों में गंगा, वैष्णवों में शिव,क्षेत्रों में काशी श्रेष्ठ है उसी
मौजूद श्रोतागण |
प्रकार पुराणों में श्रीमद्भागवत सर्वश्रेष्ठ है,सुदामा चरित्र,परीक्षित मोक्ष आदि की कथा वर्णन सुनाया यह कथा विश्राम को प्राप्त हुई। इस मौके पर आयोजक शिवलखन सिंह, सरोजा पटेल, विवेकानंद गुप्ता चेयरमैन, सुनील पटेल, संजय सिंह, शैलेंद्र, विश्वभर पाण्डेय समेत सैकड़ों की संख्या में श्रोतागण मौजूद रहे।
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