चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में आज कर्मयोगी विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला व विचार मंथन सत्र किया गया। विश्वविद्यालय के वाल्मीकि सभागार में संपन्न इस सत्र में विद्वानों ने कर्मयोग के विभिन्न आयामों पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलगुरु प्रो. भरत मिश्रा ने भारत रत्न नाना जी देशमुख को सच्चा कर्मयोगी निरूपित किया। कहा कि हर वह व्यक्ति कर्मयोगी है, जो अपने जीवन के कार्य स्वयं करता है और निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा में संलग्न रहता है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्राम विकास को जीवन का लक्ष्य बनाने की प्रेरणा दी और कर्म के साथ योग को अपनाने पर जोर दिया। कार्यक्रम के संयोजक प्रो एसके चतुर्वेदी ने इसके उद्देश्य और महत्त्व पर प्रकाश डाला। कीनोट स्पीकर प्रो अमर जीत सिंह ने अच्छे व्यवहार को
![]() |
ग्रामेादय वन डे वर्कशाप पर बोलते कुलगुरू प्रो भरत मिश्रा |
कर्मयोग की दिशा में महत्वपूर्ण बताया और राम व रावण के कर्मों का उदाहरण देकर इसे स्पष्ट किया। प्रो नीलम चौरे ने कहा कि व्यक्ति को अपने दायित्वों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए और आध्यात्मिकता से अनुशासित जीवन जीने की प्रेरणा लेनी चाहिए। वहीं विचार मंथन सत्र में प्रो नंदलाल मिश्रा ने कर्मयोगी अधिगम चरणों की चर्चा की, जबकि प्रो आञ्जनेय पांडेय, प्रो एचएस कुशवाहा, डॉ गिरधर माथनकर व विभाष चंद्र ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता, शिक्षक, शोधार्थी और छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
No comments:
Post a Comment