भगवान परशुराम का जन्म वैशाख माह के तृतीया तिथि पर प्रदोष काल में हुआ था। इस तिथि पर पूजा-अर्चना , अन्न और धन आदि चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। प्रदोष काल में भगवान परशुराम का अवतार हुआ था। इसलिए वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान परशुराम की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। ऐसे में प्रदोष व्यापनि तृतीया 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी। परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। उनका
जन्म माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के घर प्रदोष काल में हुआ था। उन्हें चिरंजीवी माना गाया है भगवान परशुराम ने पापी, विनाशकारी तथा अधार्मिक राजाओं का विनाश कर पृथ्वी का भार हरने हेतु परशुराम जी के रूप में अवतार धारण किया था। इन दुष्ट राजाओं ने पृथ्वी के संसाधनों को लूटा तथा राजाओं के रूप में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा की थी, उदया तिथि अनुसार 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा ।
- ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल, स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र , अलीगंज , लखनऊ

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