वैशाख शुक्ल तृतीया को अक्षय तृतीया के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को है । वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को सांयकाल 5:31 मिनट से प्रारम्भ होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:12 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि अनुसार अक्षय तृतीया को 30 अप्रैल को मनायी जाएगी . अक्षय तृतीया के इस विशेष दिन पर शनि, शुक्र, बुध और राहु ग्रह मीन राशि में स्थित होंगे, जिससे मालव्य राजयोग, लक्ष्मी नारायण राज योग और चतुर्ग्रही योग का निर्माण होगा. इसके साथ ही, चंद्रमा वृषभ राशि में बृहस्पति के साथ रहेंगे, जिससे गजकेसरी राजयोग बन रहा है. सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में होंगे इसके साथ ही, रवि और सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन बन रहे हैं अक्षय तृतीया स्वयं सिद्व मुहूर्त अबुझ मुहूर्त है। इसमें विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आदि सभी कार्य किये जा सकते है। इस दिन त्रेतायुग का प्रारम्भ इसी तिथि को हुआ था। इसे युगादि तिथि भी कहते है। इस दिन भगवान विष्णु एवं लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु के नर नारायण, हयग्रीव अवतार इसी दिन हुआ था। भगवान ब्रहमा जी के पुत्र अक्षय कुमार का जन्म भी इसी दिन हुआ था। श्री बद्रीनारायण के पट भी इसी दिन खुलते है और वृन्दावन में श्रीबिहारी जी के चरणों को दर्शन वर्ष में इसी दिन होता है।
अक्षय तृतीया में तीर्थो में स्नान, जप, तप, हवन आदि शुभ कार्याे का अनंत फल मिलता है। इस दिन किया गया दान अक्षय यानि की जिसका क्षय न हो माना जाता है। इसदिन जल से भरा कलश, पंखा, छाता, गाय , चरण-पादुका स्वर्ण भूमि आदि का दान सर्वश्रेष्ठ रहता है। मन्दिरों में जल से भरा कलश एवं खरबूजें चढ़ाया जाता है। पुराणों में भी इस दिन का वर्णन है। इस दिन व्यापारी जन अपने खातों की पूजन भी करते है।

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