फतेहपुर, मो. शमशाद । खागा तहसील क्षेत्र के ग्राम बुदवन में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन अयोध्या सिद्धपीठ श्री हनुमान गढ़ी के श्रीश्री 1008 श्री महंत महामण्डलेश्वर डा0 स्वामी महेश योगी जी ने बताया कि भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं सनातन परंपरा के गौरव को पुर्नस्थापित करने हेतु देश की युवा पीढ़ी को भगवान की मुरली की तरफ ही नहीं सुदर्शनधारी भगवान कृष्ण को आत्मसात करने की आवश्यकता है। जिस तरह भगवान श्रीराम ने धर्म रक्षा के लिए सबकुछ त्यागा लेकिन धनुष नहीं त्यागा। अधर्म पर विजय के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने मुरली छोड़कर सुदर्शन उठा लिया। भगवान परशुराम ने कभी परशु नहीं छोड़ा। इसलिए हमें ज्ञात होना चाहिए कि शस्त्र और शास्त्र दोनों हमारे आभूषण हैं। शास्त्र उठाने से ही धर्म की जय होगी। शस्त्र उठाने से अधर्म का नाश होगा। इसलिए प्रत्येक युवा को शस्त्र और शास्त्र दोनों को धारण करने की आवश्यकता है। जिससे हम भारतीय स्वाभिमान, नारी अस्मिता एवं सनातन संस्कृति का पोषक बन सकें। कथा व्यास आचार्य गंगाराम त्रिपाठी ने आज
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| श्रीमद भागवत कथा में मंचासीन अतिथि। |
महायज्ञ मथुरागमन, कंस-वध, गोपी उद्धव-संवाद, रूक्मिणी हरण एवं परिणय की कथा सुनाई। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 अनंत श्री विभूषित आचार्य स्वामी चित्प्रकाश शास्त्री जी (वृन्दावन) ने कहा कि अपनी बेटियों को मां बचपन से ही धर्म के बारे में परिचित कराएं। इसके लिए श्रीमद भागवत जैसे अनुष्ठानों से आने वाली पीढ़ियों में अच्छे संस्कारों का संचार होगा। महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 अनंत विभूषित परमपूज्य देवी मां शिवांगी नंद गिरी जी भोपाल ने मां भगवती दुर्गा जी के महात्म की महत्ता बताई। स्वामी महेश मुनि उदासीन पोरबंदर ने भी भगवान कृष्ण की कथा सुनाई। कार्यक्रम में शिक्षा सेवा चयन आयोग प्रयागराज के सदस्य डा0 विनोद कुमार सिंह, आयोजक ठा0 संतोष कुमार सिंह प्रोफेसर हरिशंकर सिंह, सूबेदार उमाशंकर सिंह, उपनिरीक्षक प्रतीक सिंह आदि के साथ क्षेत्रीय जनता उपस्थित रही।


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