मई माह में धीमे गति से चलने वाले ग्रहो का राशि परिवर्तन हो रहा है जब ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो उसका प्रभाव देश दुनिया पर भी पड़ता है पहले 15 मई से देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके है ज्योतिष में बृहस्पति धर्म, ज्ञान, शिक्षा, विवाह, संतान, सुख-सम्पत्ति का कारक ग्रह है मिथुन में प्रवेश से ही गुरु अतिचारी होंगे जो सामान्य से अधिक गति से चलेंगे और तीन बार अपनी राशि बदलेगा, 19 अक्टूबर को गुरु कर्क में प्रवेश कर लेगा। कर्क राशि में ही ये ग्रह 12 नवंबर से वक्री हो जाएगा। वक्री रहते हुए ही ये ग्रह 3 दिसंबर को राशि बदलकर मिथुन में आ जाएगा गुरु के अतिचारी होना शुभ नहीं है देश दुनिया पर भी प्रभाव पड़ेगा जो मौसम जलवायु परिवर्तन, अर्थ व्यवस्था में बदलाव, शेयर बाजार में उठा पटक , बेवजह के धार्मिक विवाद, अशान्ति हो सकती है
राहु ग्रह 18 मई को सांयकाल 07 :35 पर वृहस्पति की राशि मीन से निकलकर शनि की राशि कुम्भ में गोचर करेगा, जबकि केतु बुध की राशि कन्या से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेगा। राहु का गोचर कुंभ में होने से तकनीकी युद्ध और गुप्त साजिशे हो सकती है. राहु जब भी कुंभ राशि में गोचर करता है, तो यह नए प्रकार के युद्ध, जैसे साइबर हमले, तकनीकी जासूसी और सैटेलाइट निगरानी को बढ़ावा देता है. क्योंकि राहु छिपी हुई चीजों का कारक है. इसी कारण इसे छाया ग्रह भी कहा गया है. केतु जब सिंह राशि में आता है तो सत्ता की परीक्षा लेता है. सत्ता प्रमुखो को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. अशुभ बृहस्पति की शन्ति के लिये गुरू ग्रह के मंत्रो का जप, गाय, मन्दिर और गुरू की सेवा और गुरू ग्रह की वस्तुओं धार्मिक पुस्तके ,चने की दाल, केला आदि का दान करना चाहिये। भगवान शिव, देवी दुर्गा और भगवान विष्णु की उपासना से भी ग्रहों के बुरे प्रभाव नहीं मिलते है। राहु केतु के अशुभ प्रभाव के लिए राहु केतु के मंत्रो का जाप करना, आठ मुखी, नौ मुखी रुद्राक्ष पहनना, भगवन शिव और माता दुर्गा की उपासना करना, तीरथ यात्रा करना, मछली को आटे की गोली ,पक्षी को दाना, कुत्तो को रोटी डालना चाहिए।


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