प्रधानाध्यापिका निलंबित
10ं का रोका वेतन
रामनगर (चित्रकूट), सुखेन्द्र अग्रहरि । चित्रकूट जिले के सरकारी स्कूलों की बदहाली का पर्दाफाश उस वक्त हुआ जब जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी बीके शर्मा ने शनिवार को प्राथमिक विद्यालय रामाकोल का औचक निरीक्षण किया। निरीक्षण में जो स्थिति सामने आई, उसने शिक्षा व्यवस्था की नींव पर ही सवाल खड़े कर दिए। नामांकित 32 छात्रों के सापेक्ष महज 10 छात्र उपस्थित पाए गए। ग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय को इंग्लिश मीडियम घोषित किए जाने के बावजूद बच्चों को हिंदी तक पढ़नी नहीं आती, जिससे अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैं। किताबें बोरों में बंद सड़ रही थीं, जबकि कक्षाएं सीमेंट और लकड़ियों के कबाड़ से भरी मिलीं। इतना ही नहीं, बच्चों के लिए आने वाला दूध वितरण भी अनुपस्थित था। इस लापरवाही को देखते हुए बीएसए ने प्रधानाध्यापिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर मानिकपुर बीआरसी से संबद्ध कर दिया। बीएसए ने रामाकोल के बाद करौंदी कलां, रैपुरा, लालापुर और आनंदपुर के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों का भी
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| कबाडखाना बना सरकारी स्कूल |
निरीक्षण किया। प्राथमिक विद्यालय आनंदपुर में शैक्षिक गुणवत्ता बेहद खराब पाई गई, जिससे नाराज होकर प्रधानाध्यापक पुष्पराज सिंह और सहायक अध्यापिका प्रियंका सिंह चंदेल का मई माह का वेतन रोक दिया गया। कम्पोजिट विद्यालय नांदी में बच्चों की उपस्थिति असंतोषजनक मिलने पर प्रधानाध्यापक इंद्रजीत सिंह, सहायक अध्यापिका गरीमा सिंह, मंगल प्रताप सिंह, सत्यदेव सिंह और अंकित बेलदार पर भी कार्रवाई करते हुए उनका मई माह का वेतन रोका गया। गोकुलपुर विद्यालय में समय से न पहुंचने पर प्रधानाध्यापक मथुरा प्रसाद, सहायक अध्यापिका दिव्या सचान और शिक्षा मित्र सुरेश प्रसाद गौतम का वेतन एवं मानदेय रोकने के निर्देश दिए गए हैं। बीएसए बीके शर्मा ने दो टूक कहा कि शिक्षण गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जाएगा।


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