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Sunday, May 11, 2025

टेक्नोलॉजी और परंपरा की संगत से बहेगी माँ मंदाकिनी

मंदाकिनी के पुनर्जीवन की राह पर जलदूत 

वर्षा जल संचयन पर राष्ट्रीय कार्यशाला

चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । खेत का पानी खेत में और गाँव का पानी गाँव में- इसी मंत्र के साथ राष्ट्रीय तकनीकी दिवस (11 मई 2025) के मौके पर दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केन्द्र, मझगवाँ में वर्षा जल संचयन से मंदाकिनी नदी का पुनर्जीवन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला हुई। कार्यक्रम में विचारों की गूंज सिर्फ विज्ञान तक सीमित नहीं रही, बल्कि प्रकृति, परंपरा और पंचतत्व से संवाद का माध्यम बनी। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने की। उन्होंने पं दीनदयाल उपाध्याय एवं राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख के चित्रों पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कहा कि जनभागीदारी से ही जल संरक्षण सतत व प्रभावशाली बन सकता है। वर्षा जल को भूमि से जोड़ने का समय अब नहीं, तो कभी नहीं। कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ नवीन शर्मा ने मृदा एवं जल संरक्षण की वैज्ञानिक विधियों पर जानकारी दी। इसके बाद डॉ जागरे ने केंद्र द्वारा किए गए वर्षा जल संचयन कार्यों को प्रभावशाली पॉवर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुत किया। डॉ राजेश तिवारी ने


मंदाकिनी नदी के सूखने के कारणों व वर्षा जल संचयन से इसके पुनर्जीवन की संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी दी, जबकि प्रवीण पाठक ने 11 से 18 मई तक चलने वाले माँ मंदाकिनी पुनर्जीवन अभियान की रूपरेखा साझा की। कार्यक्रम में कृषक अनूप सिंह ने बताया कि ग्रामीण जनसहयोग से बनाए गए नालों और बंधानों से गाँव में जलस्तर बढ़ा है और अब दो फसलें ली जा रही हैं। महिला कृषक कमलेश कुमारी गौतम ने 16 पंचायतों में जल उपयोग के प्रति जनजागरण अभियान चलाने का अनुभव साझा किया। सुश्री संजना जैन ने किसानों से खेतों में छोटे तालाब, हैंडपंप रिचार्जिंग व नलकूप सुधार जैसी योजनाओं में भागीदारी की अपील करते हुए बताया कि शासन हर स्तर पर किसानों के साथ खड़ा है। कार्यक्रम में 94 जलदूतों व कृषकों ने भाग लिया। संचालन प्रसार वैज्ञानिक पंकज शर्मा ने किया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि थे प्रो भरत मिश्रा, कुलपति, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय। विशिष्ट अतिथि के रूप में सुश्री संजना जैन (मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला पंचायत, सतना), प्रवीण पाठक (संभागीय समन्वयक, जन अभियान परिषद, रीवा), डॉ राजेश तिवारी (जिला समन्वयक, सतना), डॉ नवीन शर्मा (वरिष्ठ वैज्ञानिक) एवं डॉ अखिलेश कुमार जागरे मौजूद रहे।


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