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Wednesday, May 14, 2025

माता-पिता की आज्ञा का अनुश्रवण करना चाहिए : आचार्य

बांदा, के एस दुबे ।  श्रीमद़्भागवत कथा के अंतिम दिन शेरपुर गांव में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु कथा श्रवण करने के लिए पहुंचे।  शेरपुर में सैनी परिवार के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के विश्राम दिवस पर आचार्य अनुराग अवस्थी जी ने कहा कि पुरुषार्थ चतुष्टय सिद्धि का साधन है मनुष्य शरीर,और यह शरीर माता-पिता के अनुग्रह से प्राप्त होता है इस शरीर की प्राप्ति में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है,इसलिए पुत्र अपने माता-पिता के ऋण से शताधिक वर्षों की आयु तक उनकी सेवा करके कृतार्थ तो हो सकता है परन्तु उऋण नहीं हो सकता है,तीन कर्मों से पुत्र की पुत्रता पुष्ट

श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करते हुए श्रद्धालु। 

होती है,जब तक माता-पिता-इत्यादि जीवित रहें,तब तक उनकी आज्ञा को मानना,उनके देहावसानानन्तर उनकी मृत्यु तिथि पर पर्याप्त भोजन कराना तथा गयातीर्थ में जाकर उनके लिए पिण्डदान करना-इन तीनों क्रियाओं को सम्पादित करनेवाला पुत्र ही वस्तुतः पुत्र होता है। आयोजक राजकपूर सैनी, रामावतार गुप्ता, रमाशंकर गुप्ता, शंकर सैनी,अनुज सैनी,रोहित सैनी,सुरेन्द्र गौतम, बंटा गुप्ता, सीताशरण, पुरुषोत्तम चौबे, रामप्रकाश, हरदेव प्रसाद, रामकेश, प्रदीप कुमार, लवप्रकाश मिश्र के अलावा सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। 


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