राजापुर, चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि : तहसील क्षेत्र के पटना गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन आचार्य रामसागर महराज ने कहा कि ईश्वर की लीला बहुत विचित्र होती है और जीव को तन्मयता का दर्शन कराती है। जो कथा श्री कृष्ण की गोद प्रदान कर दे, उसी का नाम श्रीमद्भागवत है। उन्होंने भगवान की बाल लीलाओं व विवाह की कथा सुनाई। भागवत कथा वाचक आचार्य रामसागर महराज ने भगवान श्री कृष्ण की सुंदर बाल लीला का आध्यात्मिक दर्शन कराते हुए कहा कि मिट्टी खाकर पृथ्वी तत्व का शोधन, कालिया नाग को नथ करके दूषित जल तत्व को शुद्ध करने के बाद भगवान ने बाद में मां कालिन्दी को अपनी पटरानी स्वीकार किया। साथ ही गायों की सेवा करके गोपाल नाम को सार्थक किया। कई जन्मों और युगों के वरदानों को सिद्ध करने के लिए द्वापर के अंत में लाल पुरुषोत्तम के
स्वरूप विग्रह में श्रीकृष्ण का अवतार होता है। उन्होंने गिरिराज गोवर्धन का चरित्र चित्रण करते हुए बताया कि यह श्री गोवर्धन हमारे कामतानाथ के छोटे भाई द्रोणागिरि के आत्मज है। जीवन में एक बार दोनों पर्वतों की परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। इससे सुख, समृद्धि, अन्न और धन की प्राप्ति होती है। श्री गिरिराज में राधेश्याम तो कामतानाथ में सीताराम विराजते है। कथा के अंत में कथा व्यास ने भगवान कृष्ण और रुक्मणी के साथ विवाह की कथा सुनाई। इस मौके पर यज्ञाचार्य संदीप शास्त्री, मूल पाठक दीनदयाल शुक्ला वृंदावन, आर्गन वादक विजय पाठक, तबला पाठक मिथिलेश गौतम, अयोध्या प्रसाद गौतम, राजाभाई गौतम, भोला प्रसाद गौतम, जगदीश गौतम, शिवानंद, रामानंद, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक जेपी मिश्र, रामेश्वर पाण्डेय, ज्ञानेन्द्र गौतम व बालकेश गर्ग आदि मौजूद रहे।


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