चित्रकूट की बेटी मीनाक्षी सिंह ने रचा इतिहास
बनीं मिस साउथ एशिया यूनिवर्स
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । जिले के सरधुवा गांव की मूल निवासी व नयागांव, बिरसिंहपुर (मप्र) में निवासरत मीनाक्षी सिंह ने अपने हुनर और आत्मविश्वास से पूरी दुनिया को चौंका दिया है। दिल्ली में आयोजित प्रतिष्ठित मिस साउथ एशिया यूनिवर्स प्रतियोगिता में मीनाक्षी ने अपने सौंदर्य, प्रतिभा और आत्मबल के दम पर न सिर्फ विजेता का ताज पहना, बल्कि अब वे भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए अमेरिका में होने जा रही मिस एशिया यूनिवर्स प्रतियोगिता की ओर कदम बढ़ा चुकी हैं। सोमवार को जब यह चित्रकूट की शान दिल्ली से विजेता बनकर पहली बार चित्रकूट स्टेशन पहुँची, तो उनके स्वागत में मानो धर्मनगरी का कण-कण उमड़ पड़ा। स्वजन, शुभचिंतक और क्षत्रिय समाज के लोगों ने ढोल-नगाड़ों और फूल-मालाओं से उनका जोरदार स्वागत कर यह जता दिया कि मीनाक्षी अब सिर्फ एक नाम नहीं, एक प्रेरणा बन चुकी हैं। मीनाक्षी सिंह ने बताया कि वह पिछले डेढ़ साल से इस खिताब
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| पारिवारिक जनों के साथ मीनाक्षी सिंह |
की तैयारी कर रही थीं और बचपन से ही उन्हें डांसिंग व मॉडलिंग का जुनून था। हालांकि शुरुआत में माता-पिता को यह करियर रास नहीं आया, लेकिन जब उन्होंने अपनी मेहनत, योजना और जुनून की कहानी साझा की तो परिवार ने उनका पूरा साथ दिया। यहीं से मीनाक्षी की उड़ान शुरू हुई और मिस टीन ऐज (क्वीन ऑफ द हर्ट्स), मिस टीन इंडिया और मिस टीन एमपी जैसे खिताबों को जीतने के बाद अब उन्होंने पूरे साउथ एशिया में अपना परचम लहराया है। अनुपमा स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर चुकीं मीनाक्षी सिंह सिर्फ मॉडलिंग की दुनिया में नहीं, बल्कि सामाजिक पहचान में भी रच रही हैं मिसाल। मीनाक्षी अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं और परिवार का यह संघर्ष और सामाजिक सक्रियता आज उनके व्यक्तित्व की ठोस नींव बनकर उभरी है। अब अमेरिका में होने वाली मिस एशिया यूनिवर्स प्रतियोगिता के लिए चयन का अंतिम चरण मई में दिल्ली में होगा और इसके बाद चार माह में अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का परचम फहराने मीनाक्षी रवाना होंगी। चित्रकूट से लेकर दिल्ली और अब अमेरिका तक, मीनाक्षी की यह यात्रा न सिर्फ ग्लैमर की कहानी है, बल्कि यह उस जिद, मेहनत और आत्मबल की कहानी है जो छोटे शहरों की बेटियों को भी दुनिया की सबसे ऊँची मंजिलों तक पहुँचा सकती है।


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