भक्ति का उमड़ा सागर
भागवत कथा का चौथा दिन
कृष्ण जन्मोत्सव का दिव्य आयोजन
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि । पुरानी बाजार स्थित स्वर्गीय राजेंद्र पांडेय के निवास पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का मंगलवार को चौथा दिवस भक्ति और आध्यात्मिक भावों से सराबोर रहा। नयागांव के आचार्य रवि शास्त्री ने भगवान श्रीराम के अवतार और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का विस्तृत व हृदयस्पर्शी वर्णन करते हुए मृत्यु के संकेतों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब जीवन अंतिम पड़ाव पर पहुंचता है, तब यमदूत दिखाई देने लगते हैं और मृत्युदूत जरा सबसे पहले शरीर में बदलाव के रूप में संकेत देती है- कान के बाल सफेद होना, घुटनों में दर्द, उठने-बैठने में परेशानी, सुनने की क्षमता कम होना, और मुख से अनायास हे राम निकलना। इन संकेतों के
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| कथा कहते आचार्य रवि शास्त्री |
बाद प्राण देह से मुक्त हो जाते हैं और जीव यात्रा अगले पड़ाव की ओर बढ़ती है। आचार्य ने अजामिल की कथा सुनाते हुए कहा कि पूर्वजन्म में किए गए अच्छे कर्म और मृत्यु समय निकला भगवान का नाम स्वर्ग द्वार खोल देता है। अजामिल ने अपने पुत्र का नाम नारायण रखा था। मृत्यु के क्षण में जब उसने अपने बेटे को पुकारा, तो नारायण नाम का उच्चारण होने मात्र से यमदूत पीछे हट गए और उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। आचार्य ने भक्तों से आग्रह किया
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| कथा में माता पिता के साथ बाल श्रीकृष्ण बने कान्हा |
कि अपने पुत्र-पुत्रियों के नाम भगवान से जुड़े रखें, जिससे दैनिक जीवन में भी ईश्वर-स्मरण बना रहे। कथा के उपरांत कृष्ण जन्मोत्सव का आयोजन हुआ, जिसमें भारी संख्या में भक्त उमड़ पड़े। भजन, नृत्य और हर्षोल्लास से भरा वातावरण भक्तिमय हो उठा और श्रद्धालु पूर्णतः भक्ति में लीन दिखाई दिए।
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