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Tuesday, November 26, 2024

भारतीय संविधान की आत्मा उसकी प्रवेशिका : अनीश कुमार गुप्त

देवेश प्रताप सिंह राठौर 

उत्तर प्रदेश झांसी विद्यार्थियों और शिक्षकों को संविधान पालन की शपथ दिलाई 

झांसी। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के जगजीवन राम विधि संस्थान के तत्वावधान में मंगलवार को संविधान दिवस पर गांधी सभागार में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सभी विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों को संविधान पालन की शपथ भी दिलाई गई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट, इलाहाबाद के न्यायाधीश अनीश कुमार गुप्ता ने कहा कि भारतीय संविधान की आत्मा उसकी प्रवेशिका है। उसकी भी आत्मा स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व का भाव है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग ही संप्रभु हैं इसी भावना के साथ संविधान की रचना की गई है। श्रीगुप्त ने विद्यार्थियों को संविधान को समझने के लिए डा भीमराव अम्बेडकर के भाषण को सुनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हम सबको जाति व्यवस्था से बाहर निकलने के उपायों पर चिंतन करना होगा। तभी संविधान का पालन ठीक से किया जा सकेगा। पहले समाज में पलायन नहीं होता था। लोग जीविकोपार्जन के लिए अलग अलग व्यवसाय करते थे। उसी को जाति व्यवस्था का नाम दे दिया गया।


श्री गुप्त ने कहा कि जिस दिन हम व्यवसाय के आधार पर अपनी पहचान बताएंगे तब सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी। यदि सभी लोग अपने धर्म का ठीक से पालन करने लगें तो हमें न्यायालय और न्याय व्यवस्था की जरूरत नहीं पड़ेगी। पहले हर व्यक्ति को उसके दरवाजे पर ही न्याय उपलब्ध होता था। उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि आज की न्यायिक व्यवस्था लंबी, जटिल और महंगी हो गई है। उन्होंने चिंताभरे लहजे में न्यायालयों में बड़ी संख्या में केस लंबित होने का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि देश में 25 हाईकोर्ट हैं। इनमें बड़ी संख्या में पद खाली हैं। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट में ही न्यायाधीशों के पचास फीसदी पद खाली हैं। जिला न्यायालयों में भी बड़ी संख्या में पद खाली हैं। इस वजह से लोगों को समय से न्याय नहीं मिल पा रहा है। मगर सरकारों और न्याय पालिका के शीर्ष लोगों में इस तथ्य को लेकर बड़ी चिंता नहीं दिखती है। उन्होंने खाली पदों को भरने के लिए उचित व्यवस्था बनाए जाने पर जोर दिया। साथ ही साथ कोलेजियम सिस्टम की विद्रूपताओं को भी रेखांकित किया। उन्होंने उदाहरण देकर यह समझाया कि कार्य पालिका सदैव यही चाहती है कि न्याय पालिका बहुत प्रभावी और सक्रिय न रहे। न्याय पालिका की सक्रियता हमेशा कार्य पालिका को अखरती है। न्यायमूर्ति गुप्त ने न्यायालयों के संचालन के लिए समुचित संसाधन उपलब्ध न होने पर भी चिंता जताई।

उन्होंने झूठे मुकदमे दर्ज कराने की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी होने पर भी चिंता जताई। 

उन्होंने कुलपति प्रो पाण्डेय की गतिशीलता की भी सराहना की। उन्होंने यह कामना की कि बुंदेलखंड तेजी से विकास की ओर अग्रसर रहे। उन्होंने सभी को संविधान दिवस की बधाई दी। उन्होंने न्याय व्यवस्था को और मजबूत बनाने पर बल दिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि देश की व्यवस्थाओं को समुचित ढंग से चलाने के लिए संविधान की रचना की गई। उन्होंने कहा कि यदि किसी की दिनचर्या नियमित नहीं और लक्ष्य निर्धारित नहीं है तो जीवन में सफलता हासिल करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि हर समस्या का समाधान यह संविधान देता है। यह भारत की आत्मा है। यह देशवासियों को गरिमापूर्ण ढंग से आशा से भरकर बेहतर तरीके से काम करने के लिए रोड मैप प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आजादी के पचहत्तरवें वर्ष में हम बदलाव महसूस कर रहे हैं। अब न्याय की देवी के आंखों की पट्टी हटा दी गई है। हम भारत के लोग शब्द हर भारतीय को गौरव प्रदान करता है। भारत की ताकत विविधता में है। 

प्रो पाण्डेय ने उम्मीद जताई की कि देश के लोग संविधान का पालन करते हुए विकास की ओर तेजी से अग्रसर होंगे।


विशिष्ट अतिथि मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व महानिदेशक डा शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बुंदेलखंड को नैक का ए प्लस प्लस ग्रेड दिलाने में कुलपति प्रो मुकेश पाण्डेय की भूमिका की पुरजोर सराहना। उन्होंने कहा कि संविधान दिवस को मनाना हमें हमेशा इस बात का ध्यान दिलाता है कि हमारा देश लोकतंत्र की बुनियाद पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान दुनिया का सबसे बेहतरीन विधिक दस्तावेज है। हमारा संविधान गतिशील है। उन्होंने सभी विद्यार्थियों का आह्वान किया कि सभी एकजुट होकर देश को मजबूत बनाने के लिए काम करें। उन्होंने कहा कि आम तौर पर सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रखा जाता है।

डीन एकेडेमिक्स प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि संविधान दिवस भारतीय लोकतंत्र का महान उत्सव है। भारत के नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों का बोध कराने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।


सभी अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सभी अतिथियों को तुलसी का पौधा देकर सम्मानित किया गया।


इस कार्यक्रम में वित्त अधिकारी प्रमोद कुमार सिंह, परीक्षा नियंत्रक राजबहादुर, मुख्य कुलानुशासक प्रो आरके सैनी, कला संकाय अधिष्ठाता प्रो मुन्ना तिवारी, प्रो एम एस खान, पत्रकारिता संस्थान के शिक्षक उमेश शुक्ल, फार्मेसी विभाग के ऋषिकेश गुप्त, हरिशंकर यादव, डा विनोद कुमार, डा ऋतु शर्मा, डा महेंद्र कुमार, डा मंजू कौर, डा अभिषेक सिंह, डा संदीप वर्मा, अपर्णा अग्रवाल, डा आशुतोष द्विवेदी, अभिषेक शुक्ला, विजय साहू, धर्मेंद्र सिंह परिहार, वंशिका प्रेमानी, रवि प्रकाश श्रंगीऋषि, डा वीबी त्रिपाठी, डा ऋषि सक्सेना, डा संतोष पाण्डेय, ललित गुप्त, डा मुकुल पस्तोर,डा प्रकाश चंद्र,डा रश्मि सिंह,डा सुनील त्रिवेदी समेत अनेक लोग उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम में विधि विभाग के तत्वावधान में आयोजित विविध प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। सभी अतिथियों को शाल, श्रीफल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। शुरुआत में कार्यक्रम के संयोजक डा राजेश सिंह ने गर्मजोशी से सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने संविधान दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विविध प्रतियोगिताओं का विवरण देते हुए उसके महत्व को रेखांकित किया। डा सिंह ने मुख्य अतिथि और सारस्वत अतिथि का जीवन परिचय सभी विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किया। संचालन डा अचला पाण्डेय ने किया। इसी कार्यक्रम में एंटी रैगिंग सप्ताह के तहत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी पुरस्कार वितरित किए गए। मुख्य कुलानुशासक प्रो आरके सैनी ने सभी प्रतियोगिताओं का ब्यौरा पेश किया। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया। पोस्टर मेकिंग में अलादीन, आदेश अहिरवार तथा आदर्श राजपूत को क्रमशः पहला,दूसरा और तीसरा स्थान मिला। स्लोगन राइटिंग में नरेश राजपूत, रचना वर्मा और अंजली कुमारी ने क्रमशः पहला,दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। निबंध लेखन में अर्चना राजपूत, अभिजीत कुमार और दीपिका शर्मा को पुरस्कृत किया गया। डा ज्योति मिश्र ने संचालन किया। अंत में कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने सभी अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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