पदीय दायित्वों का निर्वहन कार्यालय में आगंतुक फरियादियों एवं महानुभावों के हितार्थ सामर्थ्य अनुरुप करें : मण्डलायुक्त - Amja Bharat

Amja Bharat

All Media and Journalist Association

Breaking

Tuesday, November 26, 2024

पदीय दायित्वों का निर्वहन कार्यालय में आगंतुक फरियादियों एवं महानुभावों के हितार्थ सामर्थ्य अनुरुप करें : मण्डलायुक्त

देवेश प्रताप सिंह राठौर 

उत्तर प्रदेश झांसी संविधान दिवस के अवसर पर आयुक्त सभागार में मण्डलायुक्त द्वारा संविधान की प्रस्तावना का पाठ कर दिलायी गयी शपथ

झांसी: आज मंडलायुक्त श्री बिमल कुमार दुबे की अध्यक्षता में स्वतन्त्रता के अमृतकाल के अन्तर्गत "संविधान दिवस" के अवसर पर आयुक्त कार्यालय के अधिकारियों/कर्मचारियों तथा अधिवक्ताओं की उपस्थिति में संविधान की प्रस्तावना का पठन-पाठन आयुक्त सभागार में किया गया। इस अवसर पर मण्डलायुक्त सहित कार्यालय के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा अधिवक्ताओं द्वारा संविधान निर्माता भारतरत्न डाॅ0 भीमराव अम्बेेडकर जी के चित्र पर पूर्ण गरिमा के साथ माल्यार्पण किया गया। इस अवसर संविधान की प्रस्तावना का पाठन करते हुए मण्डलायुक्त ने उपस्थित अधिकारियों, कर्मचारियों एवं अधिवक्तागणों के साथ शपथ ली कि, "हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न, समाजवादी, पंथ-निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने के लिए दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई. (मिती मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हजार छह विक्रमी) को एतद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।"


          इस दौरान मण्डलायुक्त ने अपने सम्बोधन में कहा कि हमारे देश में प्रतिवर्ष 26 नवम्बर को "संविधान दिवस" के रुप में मनाया जाता है। संविधान सभा ने हमारे संविधान को 26 नवम्बर 1949 को स्वीकार किया। इसके पश्चात 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया, इस दिन को "गणतन्त्र दिवस" के रुप में मनाया जाता है। 26 नवम्बर 1949 को संविधान सभा ने कई चर्चाओं और संशोधनों के बाद संविधान को अन्तिम रुप दिया था। पूर्व में 26 नवम्बर के दिन राष्ट्रीय कानून दिवस मनाया जाता था इसके पश्चात वर्ष 2015 से संविधान दिवस मनाने की परम्परा हमारे देश में शुरु हुई। उन्होने कहा कि संविधान की प्रस्तावना को हमारे देश के विद्वानों द्वारा गम्भीर विचार-विमर्श के बाद अंगीकृत किया गया। इस देश का संविधान हमारे द्वारा ही बनाया गया है तथा हमने इसे आत्मार्पित किया है। संविधान की प्रस्तावना में सर्वाधिक महत्वपूर्ण शब्द है, "किसी व्यक्ति में उसकी गरिमा को स्थापित करना"। गरिमा से तात्पर्य हमें अपने दायित्वों का निर्वहन पूर्ण ईमानदारी एवं निष्ठा से करना है। आज के दिन हम सभी को यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन कार्यालय में आगंतुक फरियादियों एवं महानुभावों के हितार्थ सामथ्र्य अनुरुप पूर्ण करें, तब ही संविधान की प्रस्तावना को अक्षुण रखने के लिये हमारे द्वारा ली गयी यह शपथ अपने सार्थक रुप को धारण कर सकेगी। हम सभी आज यह संकल्पित होते है, कि हम अपने पदीय दायित्वों को निर्वहन जाति, धर्म एवं समाज की भावना से परे होकर करेंगे। इसके साथ ही हम अपने देश के कानूनों का अनुपालन इस प्रकार करेंगे, कि हम अपने कर्तव्यों की गरिमा को यथावत रख सके। इस दौरान अपर आयुक्त प्रशासन श्री उमाकान्त त्रिपाठी, अपर आयुक्त न्यायिक प्रियंका, अध्यक्ष बार संघ श्री मनोहर लाल वाजपेई, प्रशासनिक अधिकारी आयुक्त कार्यालय श्री दीपक कुमार मिश्र, प्रधान सहायक श्री जशवंत चैरसिया, श्री देवेंद्र कुमार, अपर जिला सूचना अधिकारी श्री सुरेन्द्र पाल सिंह सहित आयुक्त कार्यालय के अन्य अधिकारी, कर्मचारी एवं अधिवक्तागण उपस्थित रहे।

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Pages