15 दिसंबर से शुरू हुए विशाल भंडारे पर मंगलवार को लगा विराम
साधु संतों को प्रसाद ग्रहण कराने के बाद कंबल व सामान देकर दी गई विदाई
विदाई के दौरान बाबा अवधूत की याद में साधु संतों की नम हो गई आंखें
बांदा, के एस दुबे । सिमौनीधाम में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले तीन दिवसीय भंडारे की प्रक्रिया का मंगलवार को समापन हो गया। 15 दिसंबर से शुरू हुआ भंडारे में तीसरे दिन साधु-सन्यासियों को प्रसाद ग्रहण कराया गया। इसके साथ ही उन्हें कंबल और अन्य सामग्री देकर विदाई दी गई। इसके साथ सुबह आठ बजे से शुरू हुआ भंडार देर शाम तक चलता रहा। भंडारे में तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने अंतिम दिन प्रसाद ग्रहण किया। बबेरू, तिंदवारी, अतर्रा, नरैनी, कमासिन समेत जिले के दर्जनों गांवों के लाखों श्रद्धालु अंतिम दिन प्रसाद ग्रहण करने के लिए पहुंचे। सभी श्रद्धालुओं को श्रमदानियों ने मालपुआ, जलेबी के साथ ही सब्जी पूड़ी का भरपेट प्रसाद ग्रहण
सिमौनीधाम भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते श्रद्धालु |
कराया। अंतिम दिन पांच लाख श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठकर मौनीधाम भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इसके पूर्व सबसे पहले साधु-सन्यासियों को प्रसाद ग्रहण कराने के बाद उन्हें कंबल और अन्य सामग्री देते हुए विदाई दी गई। साधु सन्यासियों के चले जाने के बाद तीन दिनों तक गुलजार रही मधुबन बगिया फिर से सूनी हो गई। इधर, मंगलवार की देर शाम तक भंडारे में श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। श्रमदानियों ने सभी श्रद्धालुओं को भरपेट प्रसाद ग्रहण कराया और भंडारे का समापन हो गया। व्यवस्था में मेला प्रभारी जिलाधिकारी नमन मेहता व पुलिस प्रशासन व राजस्व के लोग लगे थे। संचालन लाखन सिह ने किया। इधर, भंडारे के अंतिम दिन प्रथम पंगत में साधु सन्यासियों ने प्रसाद ग्रहण किया। विदाई देते समय साधु-सन्यासियों ने बाबा अवधूत को याद किया, तो उनकी आंखें नम हो गईं। विदाई देने वाले श्रमदानी भी बाबा अवधूत की याद में फफक कर रो पड़े। साधु-संतों ने कहा कि बाबा अवधूत हमेशा उनके दिलों में जिंदा रहेंगे। हमेशा उनकी कृपा बनी रहेगी। साधु-सन्यासियों ने कहा विदाई देते समय बाबा अवधूत कहा करते थे, कर्म करते रहो, फल की इच्छा मत करो। बजरंग बली हमेशा कृपा करते रहें। भंडारे में भक्तों को प्रसाद ग्रहण कराने के लिए 11 पंडाल बनाए गए थे। सभी पंडाल पूरे दिन भक्तों से भरे नजर आए। श्रमदानी कार्यकर्ता बच्चा सिंह कालीटोला, मनोज भदवारी, राजाबाबू परमार, शिवनारायण सिंह, मनोज तिवारी, आनंद द्विवेदी, सर्वेश तिवारी, राजेश द्विवेदी, कमल यादव, सुरेश गौतम समेत दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उज्जैन के एक सैकड़ा से अधिक कार्यकर्ता व्यवस्थाओं को संभालने में जुटे रहे। पूड़ी बेलने व बनाने का काम भक्तों ने संभाला। भंडारे में व्यवस्थाओं को संभालने के लिए बाबा अवधूत के शिष्य और श्रमदानियों ने अटूट मेहनत की। सुबह से लेकर देर शाम तक भंडारे में प्रसाद का वितरण श्रद्धालुओं को किया गया। भाजपा नेता आनंदस्वरूप द्विवेदी और अन्य श्रमदानियों ने बताया कि तीन दिवसीय भंडारे में आठ लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने भ्रमण किया है। साधु-सन्यासियों को श्रमदानियों ने विदाई दी। इधर, मौनीधाम में बसंत नाटक का मंचन किया
भंडारे में साधु संतों को कंबल वितरित करते श्रमदानी |
गया। इसमें बसंत के पिता महाराज चंद्रसेन की कारगुजारी बताई। मार्मिक नाटक देखकर दर्शकों की आंखें नम हो गईं। अमरजीत ने ज़ालिम सिंह का, शंकर दत्त ने चंद्रसेन, फूलचंद्र ने रूप का, छोटू ने बसंत, ब्रजराज पांडे ने धीर सिंह और बिट्टू सिंह ने छोटी रानी, रामसंवारे ने बड़ी रानी और दासी का अभिनय किया। नाल वादक में चन्दन और तबला पर अनिल ने संगत की। व्यास की भूममा रामबालक ने निभाई। इसके साथ ही मौनीबाबा धाम मेले में तीसरे दिन मंगलवार को हस्तशिल्प पंडाल में खरीदारों की भारी भीड़ उमड़ी। कार्यालय विकास आयुक्त (हस्तशिल्प) वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की ओर से प्रायोजित व नेहरु युवा मंडल बेवर की ओर से आयोजित मौनीबाबा हस्तशिल्प महोत्सव में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के हस्तशिल्पियों द्वारा बनाए गए विभिन्न उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई है। वहां जरी वर्क, पेचवर्क, लेदर, स्टोन कार्विंग, ज्वेलरी, दरी एवं अन्य बिछावन आदि हस्तशिल्प कलाओं से सुसज्जित वस्तुएं मिल रही हैं। डिस्ट्रिक हैंडलूम एक्सपो के प्रभारी ज्ञानप्रकाश सिंह पटेल ने बताया कि 25 स्टालों में झांसी, मुरादाबाद, रानीपुर, हरदोई, कानपुर, इटावा,मेरठ आदि की दुकानें लगी रही। मेला प्रदर्शनी में लगे स्टॉलों में श्रद्धालुओं ने जमकर खरीददारी की।
No comments:
Post a Comment