कामेश्वरनाथ मंदिर परिसर में आयोजित हो रही श्रीमद्भागवत कथा
हर सनातनी को सुननी चाहिये कथा, भगवान के चरणों में है भक्ति
कमासिन, के एस दुबे । श्री कामेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में कथा व्यास पंडित सुरेशानंद शास्त्री ने कथा के द्वितीय दिवस पर भागवत कथा प्रेमियों को तपस्वी संत आत्माराम के त्याग और पुत्र धुंधकारी के जीवन वृतांत का विस्तृत वर्णन किया। शबरी के आश्रम में भगवान राम के प्रतिष्ठा की कथा का रसपान कराते हुए कहा कि शबरी भटकती हुई मतंग ऋषि के आश्रम पहुंची, आश्रम में सहारा पाने के बाद गुरु वचन को मानकर भगवान के दर्शन मिलने की आशा में सबरी प्रतिदिन कुटिया के रास्ते को साफ कर रघुकुल नंदन की प्रतीक्षा करती रही। गुरु के वचन में श्रद्धा विश्वास रख शबरी भगवान के दर्शन पाकर भाव विभोर होकर जंगल से चुन चुन कर मीठे बेर को खिलाकर हो गई। अनाथों की रक्षा की कथा व्यास ने कहा जीवन में गुरु प्रत्येक मानव को बनाना चाहिए। देवियों को गुरु बनाने की जरूरत नहीं है पति ही गुरु है। कथा श्रवण के समय ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना चाहिए।यह भी कहा जो गरीब
श्रीमद्भागवत कथा का बखान करते पंडित सुरेशानंद शास्त्री। |
लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो उन्हें कथा जरूर सेवन करना चाहिए, जिनके घर में कोई संतान न हो उन्हें निश्चित भागवत कथा सुनना चाहिए। मानव कल्याण का साधन भगवान के चरणों में भक्ति से है, कथा सुनना हर सनातनी का कर्तव्य है। शास्त्रों का सार श्रीमद्भागवत में ही है। जब-जब धर्म की हानि हुई अधर्मियों का नाश करने के लिए प्रभु ने अवतार लेकर सज्जनों की रक्षा की। भगवान अनंत के अवतार हैं। कृष्ण और राम का अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में हुआ राम कृष्ण दोनों एक हैं। दोनों पूर्ण ब्रह्म के अवतार हैं। कथा के तीसरे दिवस कथा में राजा परीक्षित के जन्म के आगे की कथा सुनाते हुए कहा क्षत्रिय राजा को प्रजा की सुरक्षा करनी चाहिए। पिता धर्मा पिता कर्मा माता-पिता भगवान के समान हैं, जिसने जीवन दिया वही भगवान है। माता-पिता की सेवा करना प्रत्येक सनातनी का धर्म है।
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