दुर्ग में बना है नटबली का मंदिर, प्रेमी जोड़ों समेत ग्रामीणों ने टेका मत्था
मेला परिसर की निगहबानी करती रही पुलिस, आरपीएफ ने सुरक्षात्मक तरीके से निकलवाई ट्रेनें
बांदा, के एस दुबे । भूरागढ़ दुर्ग में मकर संक्रांति पर्व पर आयोजित होने वाले मेले के दूसरे दिन बुधवार को 30 हजार से अधिक मेलार्थियों की भीड़ उमड़ी। मेलार्थियों के साथ ही प्रेमी जोड़ों ने नटबली समाधि पर मत्था टेका और रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांगी। इस दौरान मेले में सैकड़ों दुकानें सजी रहीं। महिलाओं और बच्चों ने जमकर खरीददारी की। केन नदी में युवा जोड़ों व अन्य लोगों ने परिजनों के साथ नौका विहार का लुत्फ उठाया।
भूरागढ़ मेले में लगी दुकानों पर खरीदारी करते लोग। |
भूरागढ़ दुर्ग के नीचे केन नदी किनारे स्थित नटबली मंदिर परिसर में दूसरे दिन बुधवार को मेले की धूम रही। महिलाओं और प्रेमी जोड़ों ने नटबली की समाधि पर मत्था टेका और रेवड़ी का प्रसाद चढ़ाया। बुंदेलखंडी भाषा में इसे आशिकों का मेला भी कहा जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व लोगों ने दो दिन मनाया। बुधवार को लोगों ने त्योहार मनाया और मेले का लुत्फ उठाया। पहले दिन मंगलवार को लोगों ने केन नदी
मकर संक्रांति पर आयोजित भूरागढ़ मेले में उमड़ी लोगों की भीड़। |
पहुंचकर श्रद्धा की डुबकी लगाई और पूजा पाठ किया। केन नदी तट पर बने नटबली मंदिर में पूरे दिन भीड़ रही। लोगों ने श्रद्धा से माथा टेक कर मंगलकामना की। मेला देखने के लिए शहर समेत दूर दराज से लोग जुटे। लोगों ने प्राचीन भूरागढ़ किला घूमकर आनंद उठाया। महिलाओं और बच्चों ने मेले का जमकर लुत्फ उठाया। इसके बाद बुधवार केा भी लोगों ने मकर संक्रांति पर्व मनाते हुए केन नदी में डुबकी लगाई और खिचड़ी का
भूरागढ़ मेला मार्ग पर आवागमन करते लोग। |
दान किया। उधर मेले में भीड़ को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रही। मटौंध व भूरागढ़ समेत आसपास थानों की फोर्स तैनात रही। बड़ी संख्या में स्त्री, पुरुष, युवक-युवती व बच्चे शरीक हुए। प्रेमी जोड़ों ने भी यहां हाजिरी दी। कुछ श्रद्धालुओं ने खिचड़ी लंगर का आयोजन किया। मेले में भूरागढ़ में नटबली की समाधि पर लगने वाले दो दिवसीय मेले में दूसरे दिन बुधवार को मेलार्थियों की भीड़ उमड़ पड़ी। मेले में महिलाओं व बच्चों ने जमकर लुत्फ उठाया और खरीददारी भी की। इस मेले में नवविवाहित जोड़ों के अलावा प्रेमी-प्रेमिकाओं की ज्यादा भीड़ उमड़ती है। प्रेमी जोड़ों ने नटबली की समाधि पर मत्था टेका और उसे प्रिय रही रेवड़ी चढ़ाकर मन्नतें मानी। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया।
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