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Sunday, March 2, 2025

......मनवांछित सबको मिला, जो भी आया कुंभ

शैलेन्द्र साहित्य सरोवर की साप्ताहिक रविवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न 

फतेहपुर, मो. शमशाद । शहर के मुराइन टोला स्थित हनुमान मंदिर में शैलेन्द्र साहित्य सरोवर के बैनर तले 374 वीं साप्ताहिक रविवासरीय सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन केपी सिंह कछवाह की अध्यक्षता एवं शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी के संचालन में हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में मंदिर के महंत स्वामी रामदास उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप मे नागरिक वेलफेयर एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष कालीशंकर श्रीवास्तव भी उपस्थित रहे। काव्य गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए केपी सिंह कछवाह ने वाणी वंदना मे अपने भाव प्रसून प्रस्तुत करते हुए कहा ज्ञान दायिनी मातु शारदे, अंतस का अंधियार हरो। शब्द ज्ञान की ज्योति जलाकर, कविता में रसधार भरो।। पुनः कार्यक्रम को गति देते हुए काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार से अपने अंतर्भावों को प्रस्तुत किया देव गये, मानव गये, पहुंचे शुंभ निशुंभ।। मनवांछित सबको मिला, जो भी आया कुंभ।। डा. सत्य नारायण मिश्र ने अपने भावों को एक छंद के माध्यम से कुछ

काव्य गोष्ठी में भाग लेते साहित्यकार।

इस प्रकार व्यक्त किया वसंत तुम आये पर अंत नहीं आया है। पापों के पुंजों का, अनाचार कुंजों का, भाषण भणंतों का, काम न करंतों का साम्राज्य छाया है।। दिनेश कुमार श्रीवास्तव ने अपने भावों को मुक्तक में कुछ इस प्रकार पिरोया आईआईटी किया, मिटा न मन का क्लेश। अभय सिंह क्या खोजते, धर साधू का वेश।। शिव सागर साहू ने काव्य पाठ किया महाकुंभ में महामिलन की, मंगल वेला आयी थी। मानवता की अद्भुत झांकी, अगजग के मन भायी थी।। प्रदीप कुमार गौड़ ने अपने क्रम में काव्य पाठ में कुछ इस प्रकार भाव प्रस्तुत किये सिंगल यूज प्लास्टिक कचड़ा, जीव जगत पर है भारी। बंद करो इसका प्रयोग, हम सबकी है जिम्मेदारी।। विनय कुमार दीक्षित ने काव्यपाठ में अपने भावों को कुछ इस प्रकार से शब्द दिए जग की इस चकाचौंध में भी अपराधों से डरना होगा। हो सकता है तू यहां भ्रमित, हो सकता विस्मित और चकित, पर अपने सब कर्तव्यों को तुझको पूरा करना होगा।। काव्य गोष्ठी के आयोजक एवं संचालक शैलेन्द्र कुमार द्विवेदी ने रमजान के मुबारक मौके पर अपने भाव एक गीत के माध्यम से कुछ यों व्यक्त किये- दिन रात में जो कुछ है, अल्लाह की रहमत है। कायनात में जो कुछ है, अल्लाह की रहमत है।। अलमस्त फकीरों सा रहता हूं इस जहां में, जज्बात में जो कुछ है, अल्लाह की रहमत है।। कार्यक्रम के अंत में स्वामी जी ने सभी को आशीर्वाद प्रदान किया। आयोजक ने आभार व्यक्त किया।


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