कानपुर, प्रदीप शर्मा - चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर द्वारा फसल अवशेष परियोजना अंतर्गत कॉलेज विद्यार्थी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम चंद्रभान सिंह मेमोरियल शिक्षण संस्थान झींझक कानपुर में आयोजित किया गया। जिसमें 260 से भी अधिक छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉक्टर खलील खान ने बताया कि किसानो के फसल अवशेषों में आग लगाने से पर्यावरण प्रदूषित होने के साथ मृदा में पोषक तत्वों का नुकसान होता है।उन्होंने छात्र-छात्राओं को जागरूक करते हुए बताया कि पराली को खेत में मिला देने से मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।उन्होंने कहा कि मृदा के अंदर जीवांश की मात्रा कम होने के कारण सब्जियों,फलों एवं अन्य फसलों में स्वाद व
गुणवत्ता की बहुत कमी आ जाती है। जो कि फसल अवशेषों की खाद को मृदा में मिलाने से बढ़ाई जा सकती है। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ.शशिकांत ने बताया कि पशुओं द्वारा गोबर की खाद को मिलाने व फसल अवशेषों को मिलाने से मृदा में जीवांश क्षमता बढ़ती है। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने फसल अवशेष प्रबंधन पर निबंध लेखन,चित्रकला एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ.माधुरी सिंह ने सभी अतिथियों को धन्यवाद दिया। उन्होंने छात्र छात्राओं से कहा कि अपने अभिभावकों को फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में जानकारी अवश्य दें। इस अवसर पर गौरव शुक्ला,शुभम यादव, महाविद्यालय के शिक्षक डॉ.दिनेश कुमार अवस्थी, डॉ.दीपक पाल सहित अन्य विद्यालय का स्टाफ मौजूद रहा।
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