वाटर शेड विकास घटक पीएम कृषि सिंचाई योजना है महत्वपूर्ण
चित्रकूट, सुखेन्द्र अग्रहरि। जिलाधिकारी अभिषेक आनन्द की अध्यक्षता में वाटर शेड विकास घटक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2 के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला का शुभारम्भ जिलाधिकारी ने दीप जलाकर किया। गुरुवार को जिलाधिकारी ने कलेक्ट्रेट सभागार में कहा कि वाटर शेड विकास घटक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है। इस योजना के तहत चयनित गांव में उपज बढ़ाना है। सिंचाई, वन, उद्यान, कृषि, मनरेगा, मत्स्य, पशु पालन आदि कन्वर्जन से कार्य इन गांवों में कराए जाएंगे। सभी विभाग 25 गांव का सर्वे कराकर बेसलाइन तैयार कराएं। भूमि संरक्षण अधिकारी द्वितीय को उपलब्ध कराकर उसी के अनुसार प्रस्ताव बनाकर कार्य कराए जा सकें, ताकि किसानों की पैदावार को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने कहा कि मनरेगा से तालाब, चकरोड, समतलीकरण आदि कार्य हो रहे हैं। योजना में गांव का समग्र विकास कराकर सभी किसान भाई एफपीओ स्वयं सहायता समूह प्रधान आदि योजना का लाभ उठाएं। उन्होंने भूमि संरक्षण अधिकारी द्वितीय विमलेश कुमार को निर्देश दिए कि वाटर शेड कमेटी की बैठक प्रत्येक माह कराई जाए। डीसी मनरेगा धर्मजीत सिंह से कहा कि इन चयनित गांव में शासकीय भूमि को चिन्हित कराकर स्वयं सहायता समूह को फलदार पौधे लगाने की व्यवस्था कराएं। तालाब और चकरोड के भी कार्य कराए जाएं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि किसानों की आय कैसे दोगुनी हो। जो शासन से दिशा निर्देश दिए गए हैं, उसी अनुसार कार्य कराए।
उन्होंने किसानों से कहा कि सभी विभागों की योजनाओं को अच्छे से समझने को कार्यशाला आयोजित की गई है। मोटे अनाज को बढ़ावा दिया जाए। प्राकृतिक खेती को अपनाएं। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी को निर्देश दिए बकरी पालन, मुर्गी पालन, सूकर पालन में स्वयं सहायता समूहों को विभागीय योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। डीसी मनरेगा ने भूमि संरक्षण अधिकारी से कहा कि जिन गांवों को चयनित कर कार्य का पैकेज दिया गया है, उसमें मनरेगा से जो भी कार्य कराना है, इस बाबत प्रस्ताव तैयार कराया जाए। किसानों से कहा कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दें।
भूमि संरक्षण अधिकारी द्वितीय विमलेश कुमार ने बताया कि वाटर शेड विकास घटक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जिले में 25 गांव चयनित किए हैं। विभिन्न विभागों के कन्वर्जन से कार्य कराए जाएंगे। यह परियोजना पूरे पांच वर्ष को लागू की गई है। योजनाओं का लाभ लेने को भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों से किसान भाई संपर्क कर ले सकते हैं। भूमि संरक्षण विभाग की भी योजनाएं चल रही हैं। उनका भी लाभ ले। कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां में भी विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारी प्रशिक्षण के दौरान किसानों को दिलाई जाती है।
कार्यशाला में डीसी मनरेगा धर्मजीत सिंह, उपनिदेशक कृषि राजकुमार, जिला उद्यान अधिकारी आशीष कटियार, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सुभाष चंद्र, अग्रणी जिला प्रबंधक इंडियन बैंक दीपक कुमार, उप क्षेत्रीय वन अधिकारी हरिशंकर सिंह, मत्स्य विभाग के अधिकारियों, कृषि विज्ञान केंद्र गनींवा के वैज्ञानिक ने विभागीय योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। प्रधान, एफपीओ के सदस्य, स्वयं सहायता समूह के सदस्यों ने भी अपने सुझाव रखे। बैठक में भूमि संरक्षण अधिकारी चित्रकूट तुलसीराम, भूमि संरक्षण इंस्पेक्टर शशिकांत समेत विभागीय अधिकारी-कर्मचारी एवं समिति के सदस्य मौजूद रहे।


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