सुंदरकांड और हवन पूजन के बीच मनाया गया भगवान परशुराम जन्मोत्सव
बांदा, के एस दुबे । श्रीहरि विष्णु के आवेशावतार व ब्राह्मणों के सिरमौर भगवान परशुराम की जयंती पर शनिवार को भगवान परशुराम का विधिविधान से पूजन-अर्चन और संगीतमय सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ। रामादेवी पब्लिक स्कूल में गोष्ठी का आयोजन हुआ। वक्ताओं ने विप्रजनों को एक बार फिर सिरमौर बनाने के लिये संस्कार पाठशाला चलाने पर बल दिया। सायंकाल विप्रजनों ने बाइक से शोभायात्रा निकाली। गाजे-बाजे के साथ यह शोभायात्रा जिस रास्ते से होकर गुजरी लोगों ने अपनी छतों से भगवान परशुराम की झांकी पर पुष्प वर्षा की।
जयकारों के साथ नगर में शोभायात्रा निकालते विप्रजन |
यूं तो ब्राह्मण कुलभूषण भगवान परशुराम की जयंती प्रत्येक वर्ष मनाई जाती है, लेकिन कई वर्षों के बाद उनकी जयंती पर इस बार एक बड़ा आयोजन हुआ, जिसकी पूरे शहर में चर्चा रही। कचहरी स्थित भगवान परशुराम के मंदिर में एकत्र हुए विप्रजनों ने प्रतिमा पर माल्यार्पण कर विधिविधान के साथ हवन के साथ पूजन-अर्चन किया। इसके बाद सभी लोग शहर के इंदिरा नगर स्थित रामादेवी पब्लिक स्कूल में एकत्र हुए। यहां भगवान परशुराम जन्मोत्सव आयोजन समारोह समिति की ओर से आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण और उनके जयकारे से हुआ। संगीतमय सुंदरकांड के पाठ में दर्जनों की संख्या में विप्रजनों ने प्रतिभाग किया। आयोजित गोष्ठी में पद्मश्री सम्मान से सम्मानित उमाशंकर पांडेय ने कहा कि विप्रजनों को समासज में अपना खोया हुआ सम्मान वापस लाना होगा। इसके लिये हमें अपने बच्चों को संस्कारित करना होगा, क्योंकि विप्र के पास संस्कार ही पूंजी होती है और केवल सुसंस्कारों की दम पर ही सिर्फ एक धोती लपेटने वाला ब्राह्मण पूरी दुनिया में निपट अकेले डंका बजाने की क्षमता रखता है। कहा कि ब्राह्मण यदि संस्कारित है तो कुछ भी कर सकता है। हमारे बच्चे सुसंस्कारित हों, इसलिये ब्राह्मण समाज की ओर से संस्कार पाठशाला चलाने की आवश्यकता है। जिला अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष रामकृष्ण त्रिपाठी ने कहा कि हमारे पवित्र ग्रंथों में बताया गया है कि ब्राह्मण की उत्पत्ति ब्रह्मा के मुख से हुई है। राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास लिखते हैं मुखिया मुख सो चाहिये की व्याख्या करते हुए कहा कि जिस प्रकार मुख से ग्रहण किया जाने वाला भोजन समूचे शरीर को पोषित करता है, उसी प्रकार ब्राह्मण समाज ने अपना जीवन भी कभी अपने लिये नहीं जिया। ब्राह्मण अंतर्राष्ट्रीय संगठन के प्रदेश महामंत्री संकटा प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि राजनीतिक दलों ने सभी वर्गों की राजनीति के चक्कर में पड़कर ब्राह्मण वर्ग को हाशिये पर डाल दिया है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि हमारा समाज एकता का प्रदर्शन नहीं कर पा रहा। राजनीतिक दलों को बाध्य करना होगा ताकि हमारा भी राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधत्व हो। गोष्ठी के बाद सायंकाल रामादेवी पब्लिक स्कूल से व्रिप्रजनों की बाइक से शोभायात्रा नगर भ्रमण को निकली। गाजे-बाजे के साथ निकली इस शोभायात्रा में भगवान परशुराम की झांकी आकर्षण का केंद्र रही। शोभायात्रा जिस रास्ते से होकर गुजरी वहां के लोगों ने न सिर्फ अपने घर की छतों से पुष्पवर्षा की, बल्कि भगवान परशुराम की आरती भी उतारी। कार्यक्रम में ब्राह्मण अंतर्राष्ट्रीय संगठन के जिलाध्यक्ष सुनील तिवारी, महेश शुक्ला, ओमप्रकाश त्रिपाठी, आकाश दीक्षित, केके बाजपेई, आलोक त्रिपाठी, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष आशुतोष त्रिपाठी, ओमनारायण त्रिपाठी विदित, डॉ.अशोक अवस्थी, राजाभैया मिश्रा, सुशील त्रिवेदी, सुरेंद्र मिश्रा, हरदेव त्रिपाठी समेत सैकड़ों की संख्या में विप्रजन शामिल रहे।
शोभायात्रा में शामिल भगवान परशुराम की भव्य झांकी
इन विप्रजनों को किया गया सम्मानित
बांदा। पद्मश्री सम्मान से सम्मानित उमाशंकर पांडेय, क्रय विक्रय सहकारी समिति के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डॉ. धर्मेंद्र त्रिपाठी, पीसीएस परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली मेधावी छात्रा आकांक्षा बाजपेई के परिजनों, जिला अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष अध्यक्ष राजेश दुबे गुड्डा, टीचर्स सोसायटी के अध्यक्ष जयकिशोर दीक्षित और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी गोपी नेता के परिजनों को भगवत गीता व अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया।
ब्रह्म समाज के युवाओं में भी दिखा जोश
बांदा। रामादेवी पब्लिक स्कूल में आयोजित परशुराम जयंती के आयोजन और शोभायात्रा के नगर भ्रमण से ब्रह्म समाज के युवाओं में भी खासा जोश दिखाई दिया। गोष्ठी से लेकर शोभायात्रा तक दर्जनों की संख्या में युवा धोती-कुर्ता, माथे पर तिलक और हाथ में कलावा के साथ दिखे। गोष्ठी के दौरान युवाओं ने शंखध्वनि के साथ भगवान परशुराम के गगनभेदी जयकारे भी लगाये। समाज के युवा गायक अभिषेक मिश्रा ने गोष्ठी के दौरान भूतभावन भोलेनाथ का सुंदर भजन की प्रस्तुति भी दी।
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