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Friday, September 1, 2023

लंपी बीमारी पर डिग्गी पिटवाकर ग्रामीणों को करें जागरूक : डीएम

कोई भी व्यक्ति अपने गोवंश छुट्टा न छोड़े 

बांदा, के एस दुबे । जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में जानवरों में होने वाली लम्पी बीमारी (एलएसडी) की रोकथाम के लिए संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी ने गाय व भैस में फैलने वाली लम्पी बीमारी के सम्बन्ध में कहा कि इस बीमारी के लिए सभी गांवों में ग्राम प्रधानों के सहयोग से डिग्गी पिटवाकर इस बीमारी के लक्षणों एवं बचाव के उपायों के सम्बन्ध में ग्रामीणों को जागरूक किया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि गांव का कोई भी व्यक्ति अपने गौवंशों को छुट्टा न छोडें, यदि कोई व्यक्ति अपने जानवरों को छुट्टा छोडता है तो उसके विरूद्ध पुलिस प्रशासन के द्वारा कार्यवाही भी की जायेगी। छुट्टा जानवर छोडने से इस लम्पी बीमारी से अन्य जानवर भी संक्रमित हो सकते हैं। उन्होंने समस्त खण्ड विकास अधिकारियों

बैठक को संबोधित करतीं जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल

एवं पुश चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रत्येक विकास खण्ड में प्रधान, सचिव, लेखपाल व केयर टेकर का एक कम्यूनिकेशन प्लान तैयार कर तथा ब्लाक प्रमुख एवं ग्राम प्रधानों की ग्रामीणों के साथ बैठक कर लम्पी बीमारी के सम्बन्ध में जानकारी देते हुए इसकी रोकथाम के प्रति सचेत करें। उन्होंने एक कन्ट्रोल रूम भी बनाये जाने के निर्देश दिये। इस बीमारी से जानवर की मृत्यु होने तक का खतरा होता है। उन्होंने उप जिलाधिकारियों एवं अधिशाषी अधिकारी नगरपालिका एवं नगर पंचायतों को निर्देश दिये कि लेखपालों एवं नगर निकाय के कर्मियों के सहयोग से हॉट स्पॉट पर गौवंश छुट्टा न रहें, उन्हें ंगौशालाओं में संरक्षित किया जाए। उन्होंने नगरपालिका एवं नगर पंचायत एवं ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत विभाग द्वारा साफ-सफाई एवं गौशालाओं में चूने का छिडकॉव, फॉगिंग आदि कराये जाने के निर्देश दिये।

कार्यशाला में उप निदेशक पशुपालन विभाग द्वारा लम्पी बीमारी के लक्षण के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गयी, जिसमें बताया गया कि यह खतरनाक बीमारी है, जो संक्रमण से बहुत तेजी से फैलती है। रोग के प्रमुख लक्षण हैं कि जानवर को तेज बुखार, ऑख व नाक से पानी गिरना, पूरे शरीर में कठोर चपटी गॉठ उभर आना, सॉस लेने में परेशानी होती तथा रक्त का श्राव भी हो सकता है, गॉभिन पशुओं में गर्भपात होना, जानवर का वजन घटना आदि प्रमुख लक्षण हैं। यह बीमारी एक जानवर से दूसरे जानवर के सम्पर्क में आने से होती है, इसलिए इस बीमारी से बचाव हेतु बीमार पशु को तत्काल अन्य जानवरों से अलग कर आइसोलेट किया जाना अति आवश्यक है, इसके साथ ही पशु के रहने वाले स्थान पर फिनॉल व सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिडकॉव किया जाए तथा पशु चिकित्सक से परामर्श लेकर दवायें दी जायें। यदि किसी जानवर की इस बीमारी से मृत्यु हो जाती है तो उस जानवर को गहरे गड्ढे को खुदवाकर मिट्टी डालकर बन्द किया जाए। लम्पी बीमारी से ग्रसित पशु के स्थल पर पूरी तरह से साफ-सफाई रखी जाए। बीमारी से बचाव हेतु सभी पशुओं का टीकाकरण कराया जाना आवश्यक है। कार्यशाला में ब्लाक प्रमुख बडोखर खुर्द स्वर्ण कुमार सोनू, ब्लाक प्रमुख मनफूल पटेल सहित अन्य ब्लाक प्रमुखगण, मुख्य विकास अधिकारी वेद प्रकाश मौर्य, अपर जिलाधिकारी उमाकान्त त्रिपाठी, समस्त उप जिलाधिकारी एवं खण्ड विकास अधिकारी, अधिशाषी अधिकारी नगर पालिका  एवं नगर पंचायत सहित पशु पालन विभाग के अधिकारी गण उपस्थित रहे।


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