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Tuesday, September 19, 2023

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुई गणपति प्रतिमाओं की स्थापना

पंडाल संचालकों ने हवा में गुलाल उड़ाते हुए गौरीनंदन को कराया विराजमान

घरों में भी विधिविधान के साथ गणपति बप्पा का हुआ शुभागमन, गूंजे भजन

बांदा, के एस दुबे । गणेश चतुर्थी पर्व के अवसर पर कमेटियों के उत्साहित कार्यकर्ता गाजे-बाजे और डीजे की धुन पर हवा में गुलाल उड़ाते हुए ‘गणपति बप्पा मोरया, मंगलमूर्ती मोरया’ के जयकारे लगाकर गौरीनंदन को पूरे सम्मान के साथ पांडालों में लाये। गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापना के लिये ज्योतिषियों ने 2 घंटा 27 मिनट का समय बताया था, लेकिन घरों से लेकर पांडालों तक आयोजकों ने अपनी सुविधा के अनुसार समय निर्धारित कर स्थापना की। घरों में भी गणपति बप्पा का लोगों ने विधि विधान से पूजन-अर्चन कर स्थापना की।

गणेश भवन में आरती करते श्रृद्धालु।

भाद्रपद मास की चतुर्थी तिथि का आगमन वैसे तो सोमवार को ही हो गया था, लेकिन शुभकर्ता-दुखहर्ता गौरा के लाल का जन्मोत्सव गणेश चतुर्थी पर्व के रूप में मंगलवार को पूरे जनपद में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ज्योतिषियों के अनुसार लाल बाग के राजा की बैठकी का समय दिन 11 बजकर 27 मिनट से लेकर 1 बजकर 34 मिनट तक बताया गया था, लेकिन सभी ने अपनी सुविधा के अनुसार गणेश बप्पा की प्रतिमाओं को विधिविधान से पूजन-अर्चन कर स्थापित किया। समूचे जनपद में गणेश महोत्सव का मुख्य कार्यक्रम शास्त्री नगर (अलीगंज) में आयोजित होता है। नूतन बाल समाज की ओर से गणेश भवन में आयोजित होने वाला यह कार्यक्रम बीती एक शताब्दी से मनाया जा रहा है। इस बार 101वें गणेश महोत्सव के अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक दत्तू पंत गुर्जर, राजेश शुक्ला, अभय पांडेय, राजबहादुर तिवारी और विनोद कुमार द्विवेदी की देखरेख में सुबह 9 बजे गणेश भवन में गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई। शाम को रमेश पाल एंड पार्टी ने गणेश भवन के प्रांगण में दीवारी नृत्य प्रस्तुत किया। देर शाम परिसर में विलाइंड म्यूजिक एकेडमी की ओर से मनमोहन सिंह बावला और ग्वालियर ग्रुप ने शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किया, जिसे देखने के लिये श्रृद्धालुओं का तांता लगा रहा। कल बुधवार को यहां रंगोली और मेंहदी प्रतियोगिताओं के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। उधर, घरों में भी लोगों ने विधिविधान के साथ बप्पा की प्रतिमाएं स्थापित कीं। ऐसी मान्यता है कि गौरीनंदन का घर में आगमन बेहद शुभ होता है, क्योंकि वे अपने साथ रिद्धी और सिद्धी को भी साथ लेकर आते हैं। गणपति के पूजन से शिव और पार्वती भी प्रसन्न होते हैं, क्योंकि वे उनके लाड़ले हैं। इसलिये शहर में अब यह चलन तेजी से बढ़ रहा है।

घर पर गौरीनंदन के भजन गाती महिलाएं।

पहले दिन देरी से खुली बप्पा की झांकियां

बांदा। शहर के आधा सैकड़ा से भी अधिक बड़े पांडालों में गणपति की प्रतिमाओं की स्थापना कमेटी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने मंत्रोच्चारण के साथ पूरे विधि विधान से की, लेकिन पांडालों में सजाई गई झांकियां पहले दिन देरी से खुल पाईं, क्योंकि स्थापना के बाद सजावट में काफी समय लग गया। जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा, माता जाकी पार्वती पिता महादेवा आरती के साथ जैसे ही झांकियों के पट खुले, दर्शनों के लिये श्रृद्धालुओं का तांता लग गया। देर शाम तक शहर में चहल-कदमी बनी रही। आने-जाने वालों को भीड़ में दिक्कतों का सामना न करना पड़े इसके लिये जगह-जगह पुलिस फोर्स भी तैनात रहा।

कस्बे से लेकर गांव तक रही कार्यक्रमों की धूम

नरैनी कस्बे में भी गणेश चतुर्थी पर्व मनाया गया। घरों से लेकर पांडालों तक गणपति बप्पा की प्रतिमाएं स्थापित की गई। मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान हुए। सुबह से लेकर शाम तक भगवान गणेश की जयकारे गूंजते रहे। कस्बे से लेकर गांव तक कार्यक्रमों की धूम रही। कस्बे के बम्बा तालाब पर न्यू इंडियन ग्रुप द्वारा गजानन प्रतिमा की स्थापना पं.ओमप्रकाश अग्नहोत्री ने वैदिक मंत्रों के साथ कराई। श्रद्धालुओं ने भगवान को मोदक, पान, फूल, मेवा अर्पित किया।


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